mmrda rope way
प्रतीकात्मक तस्वीर

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नासिक: नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर तहसील (Trimbakeshwar Tehsil) के ब्रह्मगिरी पर्वत से अंजनेरी (Anjaneri) तक 5.8 किलोमीटर रोप-वे (Rope-Way) बनाया जाएगा। विस्तृत प्रकल्प रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का कामकाज राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (NHLML) ने शुरू कर दिया है। राज्य में नासिक सहित पुणे के राजगड और रायगड जिले के माथेरान और महाड में ‘रोप-वे’ बनाया जा रहा है। इसमें से नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर स्थित ब्रह्मगिरी से अंजनेरी को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। 

इस प्रकल्प को शुरू करने के लिए प्रस्ताव बनाने का काम शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार के पर्वतमाला योजना अंतर्गत यह प्रकल्प शुरू किया गया है। इसके लिए राज्य में प्रस्तावित चार ‘रोप-वे’ को 1 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च अपेक्षित हैं। 

जल्द शुरु की जाएगी टेंडर प्रक्रिया

2022-23 के केंद्रीय वित्त बजट में राष्ट्रीय ‘रोप-वे’ विकास कार्यक्रम की घोषणा की गई है, जिसमें देशभर के विविध रोप-वे के साथ राज्य के 4 प्रकल्प शामिल है। ब्रह्मगिरी-अंजनेरी दरमियान रोप-वे के लिए राज्य सरकार से चर्चा कर निर्णय लेने का दवा ‘एनएचएलएमएल’ ने किया है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह प्रकल्प ‘हायब्रिड अॅन्युइटी मोड’ पर कार्यान्वित किया जाएगा। इसके लिए दो वर्ष कामकाज होगा।

सांसद हेमंत गोडसे का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’

जुलाई 2023 में अंजनेरी पर्वत के प्रस्तावित ‘रोप-वे’ का सर्वेक्षण किया गया, जिसे अंजनेरी के ग्रामीणों ने विरोध नहीं किया, परंतु पर्यावरणप्रेमी आक्रमक होते हुए आंदोलन की चेतावनी दी, लेकिन आंदोलन न किए जाने से ‘रोप-वे’ का कामकाज शुरू हो गया है। दुसरी और सांसद हेमंत गोडसे का यह ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ होने से उन्होंने मंजूरी के लिए हर संभव प्रयास शुरू कर दिए हैं। परंतु समृद्ध जैवविविधता सहित संवर्धन क्षेत्र का नुकसान होने का दावा करते हुए पर्यावरणवादी संतप्त हो गए है। विशेष यह है कि डेढ़ वर्ष पहले अंजनेरी को अभयारण्य करने के लिए वन विभाग ने जांच शुरू की थी। फिर भी उस पर ध्यान न देते हुए ‘रोप-वे’ के बारे में कामकाज शुरू हो गया है।

वन मंत्रालय से हरी झंडी का इंतजार

अभयारण्य या संवर्धन क्षेत्र में होने वाले विकास को लिखित तौर पर विरोध नहीं किया जा सकता है। यहां के जैव विविधता और संवर्धन के मुद्दे पर अपेक्षित रिपोर्ट वरिष्ठों के माध्यम से पेश किया जाता है। इसके बाद नागपुर मुख्यालय और वन मंत्रालय ने हरी झंडी दिखाई तो स्थानिक स्तर पर नो ऑब्जेक्शन नहीं लिया जा सकता। इसलिए ‘रोप-वे’ के मुद्दे पर वन विभाग एक तरह से नो ऑब्जेक्शन का दावा कर रही है। दरमियान ‘रोप-वे’ के बारे में कोई भी लिखित प्रस्ताव या जगह हस्तांतरण की मांग न होने की जानकारी वरिष्ठ वन अधिकारियों ने दी।

अत्याधुनिक ‘मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला’ इस तकनीक का उपयोग

समृद्ध वनसंपदा और गिद्ध सहित अन्य वन्यजीवों के वास्तव्य के चलते संवर्धन क्षेत्र का दर्जा होने वाले अंजनेरी पहाड़ से ब्रह्मगिरी तक ‘रोप-वे’ प्रस्तावित है, जिसे साकार करने के लिए अत्याधुनिक ‘मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला’ इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। दो पहाड़ों के बीच मध्यवर्ती स्टेशन बनाया जाएगा। 30 से अधिक टावर खड़े किए जाएंगे। एक घंटे में डेढ़ हजार यात्रियों की यातायात क्षमता होगी।