Chhagan Bhujbal took a jibe at Kirit Somaiya, said - he comes to know first and then there is action

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    नाशिक : पूर्व गृह मंत्री (Home Minister) अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण है। वास्तव में, किरीट सोमैया (Kirit Somaiya) को पहले पता चलता है और फिर कार्रवाई की जाती है, यह बात मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने मंगलवार को कही। पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को 100 करोड़ रुपये के वसूली आदेश मामले में आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। पिछले कई दिनों से लापता पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख आखिरकार 1 नवंबर को ईडी के सामने पेश हुए। आगे की पूछताछ 13 घंटे से ज्यादा चली। उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

    बताया जाता है कि ये सभी कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में की गई थी। उन्हें मंगलवार को ईडी की अदालत में पेश किया गया। सुबह उनका मेडिकल चेकअप किया गया जिसके बाद उन्हें ईडी की विशेष अदालत में ले जाया गया। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले अनिल देशमुख के दो सचिवों को गिरफ्तार किया गया था। इस बीच मंत्री छगन भुजबल ने इन सभी हरकतों पर प्रतिक्रिया दी है। भुजबल ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण है। दरअसल, किरीट सोमैया को पहले पता चलता है और फिर कार्रवाई होती है। ये पूरे देश में हो रहा है। भाजपा के अलावा जहां कहीं भी अन्य पक्ष की सरकार है, वहां इस तरह की प्रथा चल रही है। हालांकि उन्हें उम्मीद थी कि देशमुख को जल्द जमानत मिल जाएगी।

    गिरफ्तारी की कार्रवाई अनुचित 

    यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जांच में सहयोग करने के लिए राजी होने पर भी अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया गया। आरोपी अधिकारियों की संपत्ति का पता लगाया जाना चाहिए। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह लापता हैं, अगर विदेश गए हैं तो उनके साथ कौन है? ये सवाल रोहित पवार ने पूछा है। केंद्रीय जांच तंत्र लंबे समय से असंतोष को दबाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। हमने यही देखा है। रोहित पवार ने कहा कि जांच एजेंसियों से सहयोग करने पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना सही नहीं है। राज्य इस समय नशीली दवाओं के मुद्दे पर उथल-पुथल की स्थिति में है, जिसने राजनीतिक में गर्मा गर्मी भी पैदा कर दी है। जब रोहित पवार से इस राजनीतिक मुद्दे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे फडणवीस-मलिक विवाद के बारे में नहीं पता लेकिन मलिक सबूतों के साथ बात करके विपक्ष की बोलती बंद कर देते है। वे तब तक कुछ नहीं कहते जब तक कि उनके पास सबूत न हो।