अधर में लटका छगन भुजबल का ड्रीम प्रोजेक्ट, व्यापारियों और नगरपालिका का 300 करोड़ का नुकसान

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    नाशिक : जिले के येवला शहर (Yeola City) के मुख्य बाजार शनि पटांगण और विंचूर चौफुली इलाकों में बनाए जा रहे भव्य दिव्य शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (Shopping Complex) का निर्माण पिछले 15 सालों से अधर में लटका हुआ है। इस कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए 2008 से 2012 में मंडी की करीब 200 दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया था। उस समय येवला के विधायक छगन भुजबल (MLA Chhagan Bhujbal) थे जिन्होंने इन दोनों शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट (Dream Project) बताया था। कहा जाता है कि इन दोनों इमारतों का प्लान भी खुद भुजबल ने तैयार किया था ओर एक साल में निर्माण कर वादा किया गया था। एक प्रमुख बाजार स्थान होने के बावजूद, परिसर पिछले 15 वर्षों में अभी तक पूरा नहीं हुआ है, पिछले 15 साल में न केवल व्यवसायियों का धंधा चौपट हो गया है, बल्कि नगरपालिका की आय में भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। 

    सर्वे नंबर 3807 में 96 निर्माण दीपक पाटोदकर की याचिका के अनुसार उच्च न्यायालय के आदेश से 16 दिसंबर 2007 में बाजार ध्वस्त किया गया था। उसके बाद दिसंबर 2012 में फिर से न्यायालय के आदेश से सर्वे नंबर 3907 और 8 में 101 पक्के निर्माण भी तोड दिए गए थे जिससे यहां के व्यापारियों का रोजगार ही ध्वस्त हो गया। यह एक ऐसा बाजार था जो शहर में प्रवेश करते ही लोगों की नजरें खींच लेता था। कोर्ट ने तकनीकी खराबी के चलते 40 साल पुराने इन निर्माणों को तोड़ दिया था। 1 अगस्त, 1935 को नगरपालिका ने इस स्थान को मवेशियों और टिंबर मार्च के लिए इस जगह को वर्गीकृत किया था। लेकिन यह मुद्दा विवादास्पद हो गया क्योंकि नगरपालिका ने अन्य व्यापारियों को इस स्थान पर निर्माण करने की अनुमति  दे दी और उन सभी ने यहाँ कंक्रीट का निर्माण किया। 2008 से 2012 के बीच 200 से अधिक निर्माण तोड दिए गए और लगभग 50 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई। यहां जो व्यापारी धंदा करते थे उनमें से जो आर्थिक रूप से सक्षम थे उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया लेकिन जो कमजोर व्यापारी थे वे पूरी तरह से खत्म हो गए। 

    15 सालों से अधर में शॉपिंग इमारत 

    लगातार इस जगह पर नया व्यावसायिक परिसर बनाने और व्यापारियों को प्राथमिकता देने की मांग की जाती रही। मंत्रालय से भी अनुवर्ती कार्रवाई की गई और बैठकें भी आयोजित की गई। लेकिन व्यापारियों के पुनर्वास का मुद्दा हल नहीं हुआ। आगे इस स्थान पर व्यवसायिक परिसर की अनुमति मिलने के बाद वर्ष 2014-15 से निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। वैसे तो 10 से 12 दुकानें बनवाकर नगरपालिका ने उन्हें नीलाम किया लेकिन नासिक-औरंगाबाद और नगर-मनमाड राजमार्ग से सटे परिसर का निर्माण पिछले छह से सात साल से चल रहा है, लेकिन पूरा नहीं हो सका है। इस कार्य के लिए नगरोत्थान योजना से पहले आठ और बाद में पांच करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है और इससे करीब 150 निर्माण किए जाएंगे। जबकि यहां तीन मंजिला भवन का निर्माण किया जा रहा है, ठेकेदार की देरी और कोविड-19 के कारण निर्माण में देरी के कारण व्यावसायिक परिसर अभी भी पिछले दो-तीन वर्षों से जनता के लिए खुला नहीं है।