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    नाशिक : 4 दिनों तक चलने वाले आस्था (Faith) के महापर्व (Festival) छठ पूजा (Chhath Puja) की नागरिकों (Citizens) ने नहाय-खाय के साथ शुरुआत की। विशेष रीति-रिवाज (Special Customs) और कोरोना नियमों (Corona Rules) का पालन करते हुए नागरिकों ने आम के दातून से मंजन, स्नानकर भगवान सूर्य और छठी मैईया को सच्चे मन से याद कर पूजा में शामिल होने का न्यौता देते हुए उनकी पूजा को स्वीकार करने की गुहार लगाई। `

    नागरिक तन, मन और धन से तैयारियों में जुट गए है। सोमवार सुबह से ही घरों में बज रही छठी मैईया के गानों ने माहौल को भक्तिमय कर दिया है। छठ पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिंदू पर्व है। सूर्य भगवान की उपासना का यह लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्व भारत के बिहार, झारखंड, पूर्व उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। खासकर बिहार और पूर्व उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

    महापर्व 4 दिनों तक चलता है

    इस दौरान सूर्य भगवान और छठी मैईया को अर्घ्य देकर उपासना की जाती है। कार्तिक माह की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक मनाया जाने वाला यह महापर्व 4 दिनों तक चलता है। इस बार छठ पूजा की तिथि 8 से 11 नवंबर तक है। दीपावली की छठवें दिन छठ पूजा होती है। नागरिकों ने परंपराओं के तहत सोमवार को विधिवत रूप से स्नान कर लौकी से बनी सब्जी, चने का दाल और चावल खाकर नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत की, जो गुरूवार सुबह सूर्य भगवान के आगमन तक चलेगी। 

    बढ़े पूजा सामानों के दाम

    आम दिनों की तुलना में छठ पूजा के इस्तेमाल में लाई जाने वाली सामानों के दर बढ़ गए है। 10 से 15 रुपए में बिकने वाली एक लौकी 25 से 30 रुपए में बिकी। वहीं गन्ना, गुड़, नींबू, नारियल, दउरी (टोकरी), ड़गरा, सूप, गाजर, मूली, अनानस सहित अन्य पूजा सामग्री और फलों की कीमत बढ़ गई है।

    पुराणों की मान्यता

    एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

    भाव से पूर्ण लोकगीत गाए जाते हैं

    लोकपर्व छठ के विभिन्न अवसरों पर जैसे प्रसाद बनाते समय, खरना के समय, अर्घ्य देने के लिए जाते हुए, अर्घ्य दान के समय और घाट से घर लौटते समय अनेकों सुमधुर और भक्ति भाव से पूर्ण लोकगीत गाए जाते हैं।

    छठ पूजा विधि

    छठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें। बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास। चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी। नाशपत्ती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

    पहला दिन

    8 नवंबर को नहाय-खाय दिन सोमवार को छठ पूजा का प्रथम दिन था। इस दिन से छठ पूजा का पर्व शुरू हुआ। 

    दूसरा दिन

    9 नवंबर मंगलवार को छठ पूजा का दूसरा दिन है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त लेकर सूर्यास्त तक अन्न और जल दोनों का त्याग करके उपवास किया जाएगा। दूसरे दिन के अंत में खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाएगा। इसे व्रत करने वाले से लेकर परिवार के सभी लोगों में बांटा जाता है। रात में चांद को जल भी दिया जाएगा। 

    तीसरा दिन

    10 नवंबर बुधवार को संध्या समय में सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भी पूरे दिन का उपवास किया जाएगा। तीसरे दिन शाम को सूर्यास्त से पहले सूर्य देवता को छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाएगा। 

    चौथा दिन

    यह छठ पूजा का अंतिम दिना होता है। 11 नवंबर गरुवार की सुबह सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाएगा। यह छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य होता है जिसके बाद 36 घंटे के लंबे उपवास का समापन होगा।