विवादास्पद पेस्ट कंट्रोल की टेंडर प्रक्रिया रद्द

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  • मनपा आयुक्त कैलास जाधव ने लिया निर्णय
  • झोली भरने 19 करोड़ का काम अधिकारियों ने पहुंचाया 47 करोड़ तक

नाशिक. संक्रमित बीमारियों की पार्श्वभूमि पर शहर में किटाणुओं का नाश करने के लिए पेस्ट कंट्रोल के ठेके में करोड़ों रुपए की बढ़ोत्तरी और एक ही ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए कार्यान्वित की गई टेंडर प्रक्रिया को आखिरकार मनपा आयुक्त कैलास जाधव ने रद्द कर दिया. संबंधित ठेकेदार के न्यायालय में जाने पर मनपा को अपना पक्ष रखने का मौका मिले, इसलिए तुरंत कॅवेट दाखिल किया गया है.

कई सालों से शहर में पेस्ट कंट्रोल का काम करने वाले मे. दिग्विजय एन्टरप्राइजेस कंपनी को इस बार भी काम देने के लिए स्थायी समिति सहित वैद्यकीय विभाग के अधिकारी जी जान एक कर रहे थे. टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित करते समय वैद्यकीय विभाग ने करोड़ों रुपए की उड़ानें भरीं. शुरुआत में 19 करोड़ का ठेका 33 करोड़ तक पहुंचाया. इसके बाद भविष्य में डीजल की बढ़ती कीमत और यंत्र की कीमत को ध्यान में रखते हुए दोबारा इस ठेके की कीमत 47 करोड़ तक पहुंचने से सभी अचंभित हुए. टेंडर समिति ने इस टेंडर को मना कर दिया. परंतु स्थायी समिति के कुछ सदस्य व वैद्यकीय विभाग में खरीदारी के अधिकार दिए गए डॉक्टर मे. दिग्विजय एन्टरप्राइजेस को काम देने के लिए प्रयासरत थे.

टेंडर प्रक्रिया में शामिल दो ठेकेदारों को अनामत रकम वापस करने से मे. दिग्विजय एन्टरप्राइजेस को काम देने की बात स्पष्ट हो गई. मे. दिग्विजय एन्टरप्राइजेस को तीन साल का अनुभव न होना, मालेगांव महानगर पालिका द्वारा मामला दर्ज कराना आदि शिकायतें होने के बाद भी इसी कंपनी को भाजपा के कुछ पदाधिकारी ठेका देने में जी जान एक कर रहे थे. शिवसेना के विपक्ष नेता अजय बोरस्ते ने आक्रामक भूमिका अपना कर टेंडर प्रक्रिया नए सिरे से कार्यान्वित करने की मांग की. पूर्व मनपा आयुक्त राधाकृष्ण गमे का तबादला होने के बाद आखिरी दिन हस्ताक्षर न करते हुए पेस्ट कंट्रोल की फाइल को वापस भेज दिया. इसके बाद नए आयुक्त कैलास जाधव ने इस मामले की अद्ययन करने के बाद स्थायी समिति के दबाव में न आते हुए विवादास्पद टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने का निर्णय लिया. 

कोर्ट में जवाब देने मनपा ने दाखिल किया कैविएट

टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित करने के बाद उसे रद्द करने की बात को लेकर मे. दिग्विजय एन्टरप्राइजेस द्वारा आयुक्त के खिलाफ न्यायालय में गुहार लगाने की संभावना से  स्पर्धात्मक तरीक से कार्यान्वित नहीं की गई पेस्ट कंट्रोल की टेंडर प्रक्रिया रद्द करते समय न्यायालय में मनपा ने कॅवेट दाखिल किया है.

इसका अर्थ यह है कि न्यायालय को निर्णय देते समय मनपा का पक्ष सुनना होगा. इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए विपक्ष के नेता अजय बोरस्ते ने कहा कि किसी ठेकेदार को लाभ देने के लिए 19 करोड़ का काम 47 करोड़ तक पहुंचने से मनपा का नुकसान हो रहा था. इसलिए शिवसेना ने इस टेंडर प्रक्रिया का तीव्र विरोध किया. अब मनपा आयुक्त ने टेंडर प्रक्रिया रद्द कर दी है. गलत तरीके से टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित करने वालों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई करें.