Daughter-in-law absconding with government compensation of 10 lakhs, old parents pleaded for justice with District Magistrate, Police Commissioner

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    नाशिक. पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले जाकिर हुसैन अस्पताल (Zakir Hussain Hospital) में ऑक्सीजन के रिसाव (Oxygen Leak) से हादसे में मरने वाले 21 मरीजों को निगम ने 5 लाख रुपये मुहैया कराए थे तो राज्य सरकार ने भी 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता (Financial Help) प्रदान की थी। एक परिवार में इकलौता बेटा भी इस घटना का शिकार हुआ था। उनके आश्रितों को सरकार की तरफ से 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली थी। चालाक विधवा पत्नी 10 लाख रुपये लेकर अपने सास–ससुर को छोड़कर फरार हो गई। 

    इस घटना को जो भी सुन रहा है उसके होश उड़ जा रहे हैं। इकलौते बच्चे की मौत के बाद कम से कम सरकारी सहायता का आधार बूढे मां–बाप को जीवनयापन करने की उम्मीद थी, लेकिन मिले पैसे लेकर बहू के गायब होने से बुजुर्ग माता-पिता बेबस हो गए हैं। इस मामले में बुजुर्ग दंपत्ति ने जिलाधिकारी के साथ ही पुलिस कमिश्नर से भी कार्रवाई की मांग की है।

    दर–दर की ठोकरें खाने को मजबूर बूढ़े मां–बाप

    बताते हैं कि लता पीर सिंह महाले के बेटे को कोरोना के चलते जाकिर हुसैन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हादसे में उनके बेटे की ऑक्सीजन लीक होने से मौत हो गई। इसके बाद उनकी बहू, जो महले के घर में खुश नहीं थी, उसने जबरन हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान लिया और सरकारी मदद उसको मिले ऐसे दस्तावेज तैयार किए। दस्तावेजों के आधार पर बहू ने सरकार से मिली सारी आर्थिक मदद हड़प ली और अपने सास ससुर को बेसहारा छोड़ दिया। पूरे 10 लाख रुपये लेकर वह फरार हो गई। इस घटना से बूढ़े मां-बाप बेसहारा हो गये। दोनों जिलाधिकारी, कमिश्नर से शिकायत की और कार्रवाई की मांग की है। इस तरह की घटना से क्षेत्र में भी तरह–तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं लोग यह भी कह रहे है कि कलयुग में अब किसी पर विश्वास करने लायक ही नहीं है। कौन कब धोखा दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता। लोग उस महिला को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं। लोगों का कहना है कि उसे अपने मृत पति के मां–बाप के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।