contaminated water supply
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नासिक: जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को शुद्ध जलापूर्ति (Pure Water Supply) करने के लिए सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। फिर भी 100 प्रतिशत गांवों के नागरिकों को शुद्ध जलापूर्ति नहीं हो रही है। नासिक जिला परिषद (Nashik Zilla Parishad) के स्वास्थ्य विभाग और भूजल सर्वेक्षण विभाग ने अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच कुल 23 हजार 355 पानी के नमूने जांच किए, जिसमें 1 हजार 220 ( 5 प्रतिशत) पानी के नमूने दूषित पाए गए। 

सर्वाधिक दूषित पानी के नमूने सिन्नर, त्र्यंबकेश्वर और पेठ तहसील में मिले। नासिक जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित पानी के नमूनों की जांच की जाती है। दूषित जलापूर्ति न हो, इसलिए हर एक ग्राम पंचायत को सरकार की ओर से पानी की गुणवत्ता जांच किट (फील्ड टेस्ट किट) का वितरण किया गया है। जिले की 1 हजार 384 ग्राम पंचायतों को किट का वितरण किया गया है। इस किट से गांव स्तर पर 24 से 48 घंटे में पानी की गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाता है, परंतु हर बार पानी दूषित होने की बात सामने आती है। इसके बाद संबंधित ग्राम पंचायतों को पानी के शुद्धिकरण को लेकर सूचना दी जाती है। फिर भी जिले के सभी गांवों में शुद्ध जलापूर्ति नहीं हो रही है। 

इन इलाकों में सर्वाधिक दूषित पानी के नमूने 

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवक जल सुरक्षा रक्षकों की मदद से साल भर हर गांव के पानी के नमूने लेते हैं। सर्वाधिक दूषित पानी के नमूने सिन्नर, पेठ, त्र्यंबकेश्वर में सामने आए हैं। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच सिन्नर तहसील में कुल 1 हजार 438 पानी के नमूनों की जांच की गई, जिसमें 178 (12 प्रतिशत) नमूने दूषित पाए गए। त्र्यंबकेश्वर तहसील में कुल 2 हजार 167 पानी के नमूनों की जांच की गई, जिसमें से 254 (12 प्रतिशत) नमूने दूषित मिले। पेठ तहसील में कुल 1 हजार 295 पानी के नमूनों की जांच की गई, जिसमें से 137 (11 प्रतिशत) दूषित पाए गए। इसके बाद पानी शुद्धिकरण के लिए उपाय योजना करने का निर्देश जिला परिषद ने संबंधित ग्राम पंचायतों को दिया है।

नियमित जांच के बाद भी पानी दूषित

पानी के नमूनों की जांच करने का काम अब भूजल सर्वेक्षण विभाग को दिया गया है, जो नियमित जांच कर रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को देता है। जांच के लिए पानी के नमूनों को ग्राम पंचायत भूजल विभाग को देती है। इसके पहले स्वास्थ्य विभाग यह काम करता था, परंतु कुछ ग्राम पंचायतों को किट न मिलने की बात सिन्नर तहसील में सामने आई हैं। पानी के नमूनों की जांच होती है या नहीं, इस बारे में जानकारी न देने की बात सरपंचों ने कही हैं। अब पानी के नमूनों की जांच कितने गांवों में होती है? यह सवाल सामने आया है। दूषित पानी की समस्या, शुद्धिकरण का अभाव, निष्कृष्ट दर्जे का टीसीएल पावडर, टीसीएल पावडर का सही तरह से उपयोग नहीं करने की बात भी सामने आई हैं।