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    नाशिक : ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) का हल (Solution) निकालने में टालमटोल कर रही ठाकरे सरकार (Thackeray Government) का उद्देश्य साफ हो गया है। सरकार में बैठे तीनों दलों में ओबीसी आरक्षण देने की इच्छा शक्ति नहीं हैं। इस मामले में कोर्ट (Court) से झटका पाने के बाद फिर से जिम्मेदारी से बचने का खेल सरकार ने शुरू कर दिया है। यह बड़ा आरोप भाजपा (BJP) प्रदेश महासचिव (State General Secretary) और विधायक देवयानी फरांदे  (MLA Devyani Farande) ने लगाया है।

    उन्होंने कहा है कि ओबीसी  का आरक्षण  फिर से लागू करने के लिए इम्पीरिकल डेटा तैयार करना एकमात्र रास्ता है। लेकिन टालमटोल कर ठाकरे सरकार आरक्षण को स्थाई रूप से खत्म करने की साजिश रच रही हैं।देवेंद्र फडणवीस जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 31 जुलाई 2019 को जारी किया था। इस अध्यादेश में बदलाव कर जानबूझकर टालमटोल की गई जिससे अध्यक्षादेश रद्द हो गया। उस वक्त ही ठाकरे सरकार का उद्देश्य साफ हो गया था। इसके बाद इस मुद्दे के कोर्ट में होने की दुहाई देकर कोर्ट के आदेश पर कार्यवाही करने में ठाकरे सरकार ने 15 महीने का लंबा वक्त लगा दिया और आरक्षण  की सीमा 50 फीसदी से अधिक होने की बात कही। इसकी वजह से आरक्षण को फिर से लागू करने का रास्ता खुद ही बंद हो गया। इसके बाद इम्पीरिकल डेटा तैयार करने को लेकर कोर्ट ने सरकार को दूसरी बार फटकार लगाई। इम्पीरिकल डेटा जल्द से जल्द तैयार करना ही आरक्षण लागू करने का एकमात्र रास्ता है। इसे लेकर विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार का ध्यान खींचा है।

    पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी साफ कर दिया है कि सरकार से संसाधन जुटाये गए तो कम से कम समय में इस तरह का डाटा तैयार किया जा सकता है। आयोग की मांग को अनसुना कर राज्य के मंत्री आरक्षण के लिए मोर्चा, आंदोलन कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। बार बार केंद्र सरकार की तरफ इशारा कर अपनी गलती छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य सरकार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उसे इम्पीरिकल डेटा नहीं दे रही है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि इम्पीरिकल डेटा तैयार करना राज्य सरकार का काम है। इसके बाद भी सरकार बात सुनने को तैयार नहीं है। फरांदे ने चेतावनी दी है कि अब सड़क पर उतरकर सरकार से सवाल करने का वक्त आ गया है। राज्य सरकार अपनी इज्जत बचाने के लिए केंद्र सरकार के पाले में गेंद डाल रही है।