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    नासिक: फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Food and Drug Administration) के नासिक कार्या

    लय ने जंक फूड (Junk Food) के सेवन से बच्चों में हृदय रोग की बढ़ती दर को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। अब ‘ईट राइट स्कूल’ (Eat Right School) की अवधारणा बच्चों को स्वस्थ भोजन प्राप्त करने में सहायक होगी। शहरीकरण के कारण हृदय रोग का प्रसार बढ़ रहा है, क्योंकि बच्चे अधिक जंक फूड खाते हैं। जंक फूड खाने की इस आदत पर अंकुश लगाने के लिए नासिक के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के कार्यालय ने नाशिक महानगरपालिका क्षेत्र के स्कूलों में ‘ईट राइट स्कूल’ की अवधारणा शुरू करने का निर्णय लिया है। यह अभियान महानगर शिक्षा अधिकारी सुनीता धनगर के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है। 

    शुरूआती चरण में यह अभियान एक जनवरी से नाशिक महानगरपालिका के स्कूलों में शुरू किया जाएगा, जिसके बाद चरणबद्ध तरीके से जिला परिषद और संभाग के स्कूलों को शामिल किया जाएगा। सिटी स्कूल की कैंटीन में बर्गर, समोसा, चाउमीन और नूडल्स बिकते पाए गए हैं, इसे रोकने के लिए शहर के स्कूलों से जंक फूड हटाने के अभियान के बाद स्कूल की कैंटीन में केवल पौष्टिक और स्वस्थ भोजन ही बेचा जाएगा। 

    खाद्य एवं औषधि प्रशासन करेगा जांच 

    खाद्य एवं औषधि प्रशासन इसकी जांच करेगा, उनमें ऊर्जा और शक्ति के संचार की कमी का असर पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। बच्चे जंक फूड बहुत ज्यादा खाते हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, इससे बच्चों का मोटापा बढ़ने लगता है, इसके अलावा जंक फूड में इस्तेमाल होने वाले तेल और मसाले बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खराब होते हैं।

    हर वर्ष 1 करोड़, 73 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारी से होती है

    वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, हर वर्ष 1 करोड़, 73 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारी से होती है। भारत में होने वाली सभी मौतों में से 25 प्रतिशत हृदय रोग से होती है। पश्चिमी दुनिया की तुलना में भारत में 10 साल की उम्र से पहले हृदय रोग देखा जाता है। हृदय रोग विकसित करने वाले एक चौथाई लोग 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच के हैं। इस अभियान के  पहल के लिए एक पोर्टल बनाया गया है।

     

     स्कूलों को पंजीकरण कराना आवश्यक

    स्कूलों को इसमें पंजीकरण कराना आवश्यक है। इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न सूचनाओं को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए स्कूल के शिक्षकों या अभिभावकों को स्वास्थ्य दूत नियुक्त करना होगा और उनके माध्यम से इस पहल को आगे भी लागू बढ़ाया जाएगा। पुस्तकों, वीडियो और पोस्टरों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी। सभी कार्यक्रमों में बच्चों को मानक के अनुरूप भोजन मिल रहा है या नहीं, इसका नियमित निरीक्षण यदि विद्यालय पास कर लेता है तो उन्हें दो वर्ष के लिये प्रमाण पत्र दिया जाएगा। स्कूल के शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों की ओर से संयुक्त रूप से पुन: प्रमाणन के लिए जंक फूड के नुकसान को एक बैठक में समझाया जाएगा।

    निबंध प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता से विद्यार्थियों में जंक फूड के खिलाफ प्रति जागरूकता पैदा की जाएगी। बच्चों का आहार उनके सर्वांगीण विकास में मदद करेगा।

    -गणेश परलीकर संयुक्त आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन