Dip of faith on Makar Sankranti, crowd of devotees and tourists in Ramkund keeping Corona rules in mind

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    नाशिक : शुक्रवार (Friday) को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर बड़ी संख्या में पर्यटकों (Tourists), श्रद्धालुओं (Devotees) और स्थानीय लोगों ने रामकुंड में डुबकी लगाई। मकर संक्रांति के मौके पर रामकुंड जैसे पवित्र स्थलों पर स्नान का काफी महत्व है। पिछले दो तीन दिन से इस खास मौके के लिए लोग शहर में आ रहे थे। रामकुंड परिसर के सारे लॉज, होटल बाहर से आए  पर्यटकों से फूल हो गए है।

    शुक्रवार सुबह से ही रामकुंड में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। कुछ श्रद्धालु  तो रात से यहीं डेरा डाले हुए थे। सुबह पांच बजे से भक्तों के स्नान और पूजा की शुरुआत हुई वह दोपहर तक चलती रही। इस दौरान बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं और युवा काफी उत्साह से भरे नजर आए। नाशिक में कडाके की ठंड पड़ रही है लेकिन भक्तों और खासकर यहां आस्था की डुबकी लगाने आए लोगों में  इसका तनिक भी असर नजर नहीं आया।  

    कोरोना नियमों की उड़ी धज्जियां

    आस्था की डुबकी लगाने के दौरान रामकुंड और उसके आसपास के परिसर में कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया। परिसर में मौजूद और वहां घूम रहे लोगों में से अधिकतर ने मास्क नहीं पहना था। उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नजर नहीं आया।

    पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर पल्ला झाड़ा

    रामकुंड की तरफ जाने वाली सड़क में दो जगह एक मालवीय चौक के पास और एक लाइब्रेरी रोड में पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा रखी थी। वहां वाहनों को अंदर जाने से रोका जा रहा था। लेकिन रामकुंड में कोरोना नियमों का पालन कराने के लिए एक भी पुलिसकर्मी तैनात नहीं किए गए थे। इसका नागरिकों ने भरपूर फायदा उठाया। लोग बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किए बिना यहां घूमते, आपस में बात करते और पूजा में शामिल होते नजर आए।

    आखिर कैसी धारा 144

    नाशिक प्रशासन ने शहर में कोरोना के मद्देनजर धारा 144 लगा रखा है। ऐसे में सवाल उठता है कि रामकुंड क्या धारा 144 से बाहर है। आखिर यहां कैसे लोगों को खुलेआम घूमने दिया जा रहा है। अगर यहां से कोरोना का विस्फोट होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी।  शहर भर में जब धारा 144 लागू है तो रामकुंड को इससे बाहर रखा गया है क्या

    हर साल की तुलना में भीड़ कम

    इस संबंध में गंगा गोदावरी पुरोहित संघ के अध्यक्ष सतीश शंकर शुक्ल ने कहा कि मकर संक्रांति का काफी महत्व है। मकर राशि में सूर्य का आगमन होने पर यह पर्व मनाया जाता है। यह स्वास्थ्य, अखंड सौभाग्य का दिन है। हर साल की तुलना में कोरोना की वजह से इस साल भीड़ कम हुई है।