Corona effect on kumbh mela
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    नाशिक: हर 12 वर्ष में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले (Simhastha Kumbh Mela) की तिथियों की घोषणा गुरुवार को त्र्यंबकेश्वर (Trimbakeshwar) में गुरुपुष्य के अवसर पर की गई थीं। सिहस्थ कुंभ 2026-27 में आयोजित किया जाएगा। महंतों ने कहा कि इन तिथियों की घोषणा प्रशासन के साथ-साथ साधुओं और महंतों से विचार-विमर्श करने के बाद की गई है। वहीं, नाशिक के वैष्णव संप्रदाय द्वारा घोषित सिंहस्थ कुंभ की तिथियों को लेकर कुछ साधु-संतों ने विवाद खड़ा कर दिया है। कुंभ मेला शुरू होने से पहले ही अखाड़ा परिषद में अंदरूनी कलह शुरू होने से जिला प्रशासन का सिरदर्द बढ़ गया है।

    महामंत्री हरिगिरी महाराज (Harigiri Maharaj) ने त्र्यंबकेश्वर में सिंहस्थ कुंभ मेले की तारीखों की घोषणा की। कुंभ मेले के लिए शंख बजाया गया और ब्रह्मवृंदा की विजय में कुशावर्त कुंड में शंख की विधिवत पूजा की गई। कुंभ मेले में अभी 5 साल बाकी है। 

    पहला शाही स्नान 2 अगस्त 2027 को होगा

    सिंहस्थ ध्वजारोहण 31 अक्टूबर 2026 को होगा और पहला शाही स्नान 2 अगस्त 2027 को होगा। दूसरा शाही स्नान 31 अगस्त, तीसरा शाही स्नान 12 सितंबर और सिंहस्थ मेला 24 जुलाई 2028 को लगेगा। पुरोहित संघ त्र्यंबकेश्वर द्वारा इन तिथियों की गणना ज्योतिष के अनुसार की गई थी। तिथियों की घोषणा किए जाते समय श्री पंचदशनम पुराने अखाड़े के प्रदेश अध्यक्ष महामंडलेश्वर शिवगिरि महाराज, साध्वी शैलजा माता, स्वामी सगरानंद सरस्वती, त्र्यंबक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महाराज, महापौर पुरुषोत्तम लोहगांवकर समेत गांव के कुछ प्रतिष्ठित लोग भी मौजूद थे।

    अखाड़ा परिषद दो भागों में विभाजित

    महामंत्री हरिगिरी महाराज ने कहा कि भले ही आज गुरुपुष्य के अवसर पर सिंहस्थ की तिथियां घोषित कर दी गई है, लेकिन वास्तविक विकास की दृष्टि से सभी को भक्तों की सुविधा के लिए कार्य करते रहना चाहिए। इस बीच भक्ति चरणदास महाराज ने कहा कि वैष्णव अखाड़े का इन तिथियों से कोई लेना-देना नहीं है।  नाशिक सहित त्र्यंबकेश्वर में कुंभ मेले में साधु-महंत समेत देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। अंतिम कुंभ मेले में भीड़, साधुओं और महंतों के बीच विवाद, महिला साध्वियों द्वारा अलग घाट बनाने की मांग सहित प्रशासनिक नियोजन में त्रुटियों से बचकर आगे की योजना बनाना प्रशासन के लिए चुनौती होगी। अखाड़ा परिषद दो भागों में विभाजित है। रवींद्र गिरि और रवींद्र पुरी अखाड़े के दो अध्यक्ष हैं। दो महामंत्री भी हैं। त्र्यंबक में 10 अखाड़े शैव संप्रदाय के हैं। नाशिक के अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के हैं।

    नाशिक के तीनों अखाड़ों का इन तिथियों से कोई लेना-देना नहीं है। इस संबंध में कोई बैठक नहीं हुई है। हमारे अध्यक्ष, अखाड़ा परिषद के महासचिव के साथ इस पर चर्चा करने के बाद जल्द ही तारीखों की घोषणा की जाएगी।

    -भक्ति चरणदास महाराज, निर्मोही अखाड़ा