जिला परिषद की 413 करोड़ रुपए की योजना शुरू, लगाया जा रहा असमान वितरण का आरोप

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    नासिक : जिला परिषद (District Council) को मिलने वाली राशि पर लगी रोक हटाने के बाद जिला योजना समिति (District Planning Committee) के माध्यम से वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जिला परिषद को मिलने वाले 413 करोड़ रुपए की योजना शुरू हो गई है। विधायक अथवा जनप्रतिनिधियों की ओर से सुझाए गए कार्यों (Functions) की सूची तैयार कर पालक मंत्री (Guardian Minister) की ओर से अनुमोदित किया जाना निश्चित माना जा रहा है, इसी का फायदा उठाकर जिला परिषद मंडल में चर्चा है कि पालक मंत्री कुछ तहसीलों में अधिक और कुछ तहसीलों में कम फंड देने पर जोर दे रहे हैं। 

    नासिक जिले के पालक मंत्री दादा भुसे ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जिला परिषद में 49 करोड़ रुपए के कार्यों पर लगी रोक हटाने के बाद इसी वर्ष कुल 118 करोड़ रुपय के कार्यों पर लगी रोक भी हटा ली है, इसलिए प्रशासन की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि स्थगन को हटाकर कार्य तत्काल शुरू किया जाए, इसमें 79 करोड़ के कार्यों को रद्द करने की कार्रवाई चल रही है और इन कार्यों को केवल प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है और उनकी निविदा प्रक्रिया लागू नहीं की गई है। इसके चलते इस कोष के कार्यों को निरस्त कर नए कार्यों को प्रशासनिक स्वीकृति देने के संबंध में पालक मंत्री के नाम से चर्चा की जा रही है।  जहां यह चल रहा है, वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि जिला परिषद प्रशासन की ओर से जारी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए स्वीकृत राशि की योजना में पालक मंत्री के हाथ लगे हैं। 

    पदाधिकारियों को जिला परिषद को मिलने वाली धनराशि की योजना बनाने का अधिकार है। हालांकि विधायक इन कार्यों की अनुशंसा कर सकते हैं क्योंकि वर्तमान में प्रशासनिक नियम लागू है। प्रशासन और शासन के निर्णय के अनुसार भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर राशि बांटने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, पालक मंत्री के हाथों से तहसील स्तर पर फंड के लिए जोर दिया जा रहा है। यह तर्क दिया जा रहा है कि कुछ तालुकों को पहले ही फंड दिया जा चुका है, लेकिन वे तालुका काम नहीं चाहते हैं और फंड को विकल्प के रूप में नहीं चाहते है। 

    फंड को गलत तरीके से निकालने की कोशिश की जा रही

    चूंकि यह जिला नियोजन के लिए एक विकास निधि है, इसलिए इसमें पूरे जिले का अधिकार है। हालांकि, इस बात की दबी जुबान में चर्चा है कि कुछ तहसीलों में इस फंड को गलत तरीके से निकालने की कोशिश की जा रही है। प्रशासन को दिक्कत हो रही है और यह स्थिति हो गई है कि न बता सकते हैं और न बोल सकते हैं। हालांकि, प्रशासन ने इन फंड के असमान रूप से बंटने पर विधायकों में रोष की आशंका जताई है।