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    नाशिक: पहली पत्नी (First Wife) को बिना तलाक (Divorce) दिए दूसरा विवाह करना गैरकानूनी है, लेकिन यह जात पंचायत को मंजूर नहीं। मोबाइल (Mobile) पर तलाक देने की आक्रोशजनक घटना सिन्नर (Sinnar) में सामने आई है। सिन्नर निवासी महिला का लोणी (अहमदनगर) में विवाह (Marriage) हुआ था। शादी के बाद ससुराल के व्यक्ति ने उसके साथ प्रताड़ना करने से वह अपने मायके सिन्नर पहुंची। इसका फायदा उठाकर ससुराल के लोगों ने लोणी और सिन्नर में वैदू समाज की जात पंचायत बिठाई। जात पंचायत ने इस महिला से बिना चर्चा किए उसकी अनुपस्थिति में उसे तलाक दिया। इसके लिए ससुराल के लोगों ने नुकसान भरपाई के रूप में एक रुपए की रकम जात पंचायत के पास जमा की। 

    जात पंचायत ने पीड़ित महिला को पुलिस थाना में जाने से रोका। उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण न्यायालयीन प्रक्रिया में न्याय मांगना उसे मुश्किल हुआ। 8 दिनों पूर्व उसके पति ने दूसरा विवाह किया। यह अन्याय सहन नहीं हुआ। सामाजिक कार्यकर्ताओं के कारण यह जानकारी सार्वजनिक हुई। न्यायालय से तलाक मंजूर नहीं होने के बावजूदपंचों की नीति के कारण पति ने दूसरा विवाह किया। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के जात पंचायत मूठमाती अभियान के राज्य कार्यवाह कृष्णा चांदगुडे व रंजना गवांदे पीड़िता की मदद के लिए आगे आयीं। उन्होंने इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 

    राज्य सरकार ने जात पंचायत की मनमानी को रोकने के लिए सामाजिक बहिष्कार विरोधी कानून बनाया लेकिन जात पंचों की दहशत समाज में आज भी कायम है। प्रबोधन के साथ इस कानून पर प्रभावी रूप से अमल करने पर जात पंचायतों को हमेशा के लिए समाप्त करने में मदद होगी।

    - कृष्णा चांदगुडे, कार्यवाह, जात पंचायत मूठमाती अभियान