मालेगांव में पाइप लाइन परियोजना के विरोध में किसानों का आंदोलन

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    मालेगांव : मालेगांव बोरी-आंबेदरी जलाशय (Malegaon Bori-Ambedri Reservoir) के पाइप लाइन परियोजना (Pipeline Project) का काम बंद करने के लिए यहां के किसानों (Farmers) ने अपना विरोध (Protest) दर्शाने के लिए पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के इस आंदोलन को विभिन्न राजकीय दलों ने समर्थन दिया है। आंदोलन करने वाले किसानों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए इस परियोजना का काम असून तुरंत रोकने की मांग की है। किसानों के इस आंदोलन को गंभीरता के लेते हुए नासिक के पालक मंत्री दादा भुसे ने विगत दिनों प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आंदोलन स्थल पर आंदोलनकारियों से मुलाकात कर उनकी बातों को सुना और इस मुद्दे पर सकारात्मक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। 

    इस मौके पर पालक मंत्री भुसे ने आंदोलनकारी से चर्चा की। इस दौरान नासिक जिले के पालक मंत्री भुसे ने परियोजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 1992 में बोरी नदी पर बोरी-आंबेदरी लघु सिंचाई परियोजना शुरू की गई थी। पिछले 35 वर्षों में  इस बांध से 2,275 एकड़ क्षेत्र में पानी उपलब्ध कराया जा चुका है, लेकिन इस क्षेत्र का केवल 25 प्रतिशत ही सिंचित हो पाया है। इसलिए, पिछले 30 वर्षों में बोरी आंबेदरी परियोजना से सिंचाई के तहत औसतन 50 प्रतिशत क्षेत्र लाभान्वित हुआ है, लेकिन बंद जलापूर्ति योजना से शत प्रतिशत क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिलेगा। 

    नहरें बंद कर दी जाती हैं तो किसानों को भारी नुकसान होगा

    इस योजना से 15 दिन के अंदर ही पानी उपलब्ध हो सकेगा, इसलिए पालक मंत्री भुसे ने किसानों से इस जलापूर्ति योजना का जवाब देने और सहयोग करने की अपील की है, लेकिन किसान अपनी बात पर अड़े हुए हैं। मोजे दहिड़ी, वनपट, टिंगरी, राजमाने के किसानों का जीवन बोरी आंबेदरी नहर से बहने वाले पानी पर निर्भर है। अगर नहरें बंद कर दी जाती हैं तो किसानों को भारी नुकसान होगा। इन गांवों को गर्मी में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा, यदि इसमें नहरें अवरुद्ध हो गईं तो यह क्षेत्र पूरी तरह से वीरान हो जाएगा। 

    बाढ़ के पानी से क्षेत्र के सभी बांधों में पानी भर जाएगा

    किसानों के नुकसान को देखते हुए किसान अपने स्टैंड पर अड़े रहे कि बंद पाइप लाइन नहीं बननी चाहिए। किसानों का कहना है कि बड़ी मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर लाभान्वित क्षेत्र के गांवों की कृषि के लिए स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध की जाए। साथ ही इस तरह से प्लानिंग जाए कि किसी भी किसान को पानी की कमी न हो। जहां जरूरत होगी, वहां दीवारें उपलब्ध कराई जाएंगी और मानसून के मौसम में बांध भर जाने के बाद किसानों को बाढ़ का पानी दिया जाएगा। इस बाढ़ के पानी से क्षेत्र के सभी बांधों में पानी भर जाएगा। जिले के पालक मंत्री दादा भुसे ने यह भी कहा कि इस बंद पाइप लाइन से किसानों के खेतों में भी पानी की सुविधा मिलेगी। पाइप लाइन परियोजना के पहले चरण में 4 किलोमीटर के दायरे में 8 जगहों पर फेंसिंग की गई है, जिससे स्थानीय किसानों को फायदा होगा। 

    इस पानी का उपयोग पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है

    कहीं नालियां हैं तो कहीं दीवारें भी हैं, इसके अलावा किसानों की ओर से सुझाव मिलने पर इसे बढ़ाया जाएगा। जिले के पालक मंत्री भुसे ने यह भी बताया कि इस स्थान पर 4 किमी वन क्षेत्र होगा और पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी। मंत्री भुसे ने उपस्थित किसानों से कहा कि यदि उक्त परियोजना आगे बढ़ती है तो इस पाइप लाइन से 50 प्रतिशत पानी छोड़े जाने से प्रत्येक किसान को लाभ होगा। इस समय आंदोलन में भाग लेने वाले प्रसाद हिरे को जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। इस पानी का उपयोग पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है और यदि बंद पाइप लाइन के अलावा कोई अन्य विकल्प या प्रस्ताव है, तो इसे खोजने का सुझाव दिया जाता है। इस दौरान उपस्थित कई किसानों ने बंद पाइप लाइन योजना को  लेकर शिकायत दर्ज कराते हुए विरोध भी जताया है।

    अगर नहर की मरम्मत कांक्रीट कर दी जाती है तो पानी अंत तक चला जाएगा, इसलिए पहले नहर की मरम्मत की जाए। अगर पानी अंत तक नहीं जाता है तो हम पाइप लाइन बंद करने पर विचार करेंगे।

    - आंदोलनकारी किसान

    पिछले 40 वर्षों के दौरान, यह उम्मीद की गई थी कि नहर के माध्यम से लगभग 2,200 एकड़ की सिंचाई की जाएगी। इन 40 वर्षों में लगभग 700 से 800 एकड़ में ही सिंचाई हो सकी है। इसलिए, पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र के किसान बंद पाइपलाइन योजना की मांग कर रहे हैं। मांग के अनुसार सरकार के जल संसाधन विभाग के माध्यम से बंद पाइप लाइन योजना के कार्य को मंजूरी दी गई थी। उक्त कार्य शुरू होने के दौरान कुछ किसानों का विरोध भी हुआ। इस योजना से शत प्रतिशत सिंचाई हो सके, इस संबंध में किसानों को गहन और तकनीकी जानकारी देने के लिए सरकार के सभी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है।

    - दादा भुसे, पालक मंत्री, नासिक