किसानों को एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाए : दीपिका चव्हाण

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    सटाणा : बागलाण तहसील (Baglan Tehsil) में पिछले दो महीने में औसत से 200 प्रतिशत अधिक वर्षा की रिकार्ड हुई है। तहसील में मूसलाधार वर्षा (Torrential Rain) के कारण अंगूर, अनार, मक्का और प्याज सहित हजारों हेक्टेयर सब्जी की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। इस वजह से किसानों (Farmers) के समक्ष बड़ा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इससे किसानों में भयंकर निराशा उत्पन्न हुई है। बागलाण की पूर्व विधायक और राज्य महिला आयोग की सदस्य दीपिका चव्हाण (Deepika Chavan) ने मांग की है कि राज्य सरकार (State Government) को इन मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए और तहसील के प्रभावित फसलों का तुरंत पंचनामा करना चाहिए। पूर्व विधायक ने यह भी कहा है कि तहसील को गीला अकालग्रस्त घोषित किया जाए साथ ही हर प्रभावित किसान को एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर नुकसान भरपाई दी जाए। 

    इस संबंध में पूर्व विधायक चव्हाण ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार को ज्ञापन सौंपा है। तहसील में कई जगहों पर भारी वर्षा के कारण हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गई है और खेतों की मिट्टी भी बह गई है। मानसून के दौर की अक वर्षा से हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में लगी अंगूर, अनार, मक्का, प्याज सहित सब्जियों की फसल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है और किसान मेटाकुटी आ गए हैं। आदिवासी पश्चिमी क्षेत्र बागलाण में भी लगातार बारिश से फसलें सड़ गई हैं, इससे आदिवासी किसान भी बड़े आर्थिक संकट में आ गए हैं। हालांकि, कृषि और राजस्व विभाग की ओर से तहसील में क्षतिग्रस्त फसलों का पंचनामा नहीं किया गया है। फसल ऋण के कारण पहले से कर्ज में डूबे बागलाण के किसान अब बड़े आर्थिक संकट में घिर गए हैं। किसान जो पहले से ही कर्ज के कारण दुर्बल थे, वर्तमान में एक बड़े वित्तीय संकट में हैं और अब प्रकृति के दुष्चक्र के कारण निराशा की स्थिति में हैं। 

    बागलाण तहसील के किसानों ने मांग की है कि वर्षा के कारण बर्बाद हुई फसल का पंचनामा तुरंत किया जाए ताकि बागलाण तहसील के किसानों को राहत मिले और फसल के नुकसान से निराश किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर न होना पड़े। तहसील में 200 प्रतिशत बारिश में, कृषि और राजस्व विभाग को तुरंत क्षतिग्रस्त फसलों का सारांश पंचनामा करने का आदेश दिया जाना चाहिए और तालुका को गीला सूखा घोषित किया जाना चाहिए और प्रति हेक्टेयर एक लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाए, इस आशय का उल्लेख ज्ञापन में किया गया है।