वह ‘विशेष’ नहीं है, साधारण छात्र है, नाशिक जिला ग्राहक न्याय मंच का आदेश

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    नाशिक : देवलाली कैम्प (Devlali Camp) स्थित एक स्कूल (School) में एक विद्यार्थी कक्षा पहली में होने के बाद भी कक्षा तीसरी के क्लास रूम में बैठता था। इसलिए इस विद्यार्थी को स्पेशल चाइल्ड (Special Child) घोषित कर स्कूल प्रशासन (School Administration) ने अभिभावक (Parent) को विद्यार्थी (Student) को स्कूल में न भेजने की बात कहीं। इसके बाद अभिभावक ने नाशिक जिला ग्राहक न्याय मंच (Nashik District Grahak Nyay Manch) के पास न्याय के लिए गुहार लगाई। इसके बाद मंच ने अशोभनीय कृत्य कोई भी स्कूल नहीं कर सकता। वह ‘विशेष’ नहीं, आम विद्यार्थी है। ऐसा कहते हुए संबंधित विद्यार्थी को स्कूल में बैठने के आदेश शालेय प्रशासन को दिए। इस मामले की अंतिम सुनवाई 17 मई को होगी। 

    शिक्षकों ने निकाला अलग अर्थ

    देवलाली कैम्प स्थित एक स्कूल में विद्यार्थी पहली कक्षा में पढ़ाई कर रहा था। कोरोना महामारी के चले दो वर्ष वह घर में ही था, जिसे एकाएक स्कूल भेजने के बाद वह शांत अपने क्लास रूम में बैठने के बाद पहली से तीसरी के क्लास रूम में घूम रहा था। परंतु शिक्षकों ने अलग ही अर्थ निकाला। इसके बाद शिक्षकों ने संबंधित विद्यार्थी के अभिभावक को बुलाते हुए कहा, आपका बच्चा स्पेशल चाइल्ड (Special Child) जैसा बर्ताव करता है। उसका क्लास रूप में ध्यान नहीं लगता। उन्हें हम मार्गदर्शन नहीं कर सकते। इसलिए उसे स्कूल ना भेजे। इसके बाद अभिभावक परेशान हो गए। अभिभावक ने स्कूल प्रशासन को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी एक न सुनी। आखिरकार अभिभावक ने न्याय के लिए नाशिक जिला ग्राहक न्याय मंच के पास गुहार लगाई। अभिभावक की ओर से अ‍ॅड. उमेश वालझाडे (Add. Umesh Waljhade) और योगेश कुलकर्णी (Yogesh Kulkarni) ने पैरवी की। न्याय मंच के अध्यक्ष मिलिंद सोनवणे (Milind Sonawane), सदस्य सचिन शिंपी (Sachin Shimpi), प्रेरणा कुलकर्णी (Prerna Kulkarni) के सामने सुनवाई हुई।  इसके बाद वह ‘विशेष’ नहीं, आम विद्यार्थी है, ऐसा कहते हुए स्कूल को मनाई हुकूम देकर 17 मई को होने वाली अंतिम सुनवाई के लिए हाजिर होने के आदेश दिए।