येवला. पाझर झील का पानी खेतों में घुस गया और 9 किसानों की दस एकड़ जमीन की फसल को बहा ले गया है। यह घटना येवला तहसील के अंबेगांव में पाझर झील की निकासी की उपेक्षा के कारण हुई। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर अगले आठ दिनों में पानी की नकासी का प्रबंध नहीं किया गया तो वे खुद को आग लगा लेंगे। येवला तहसील में अंबेगांव के रतन सोनवणे सहित आठ किसानों का खेत येवला-निफाड तहसील की सीमा पर पाझर झील के पास है।
तीस साल पहले, पानी राको-पानी बचाव की अवधारणा के साथ इस पाझर झील का निर्माण किया गया था। हालांकि, तब से लेकर आज तक, हर मानसून, बड़ी मात्रा में पानी पाझर झील में प्रवेश करता है। लेकिन पाझर झील में जल निकासी की कमी के कारण पानी का निर्वहन नहीं होता है। पिछले तीस वर्षों से आज तक हर वर्ष किसान रतन विट्ठल सोनवणे (गट नंबर 328, 329), कुसुम रतन सोनवणे (गट नंबर 328), दत्तात्रेय रतन सोनवणे (गट नंबर 328), विजय रतन सोनवणे (गट नंबर 328), मोहन रतन आव्हाड (गट नंबर 328, 298), जनार्दन सयाजी सोनवणे (गट नंबर 323), बाबूराव रामजी सोनवणे (गट नंबर 327), बालू अर्जुन सोनवणे (गट नंबर 324), कचरू अर्जुन सोनवणे (गट नंबर 325) की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
बैंक का कर्ज कैसे चुकाया जाए
पाझर झील के पानी से हर साल आठ किसानों की दस एकड़ फसल में पानी घुसपैठ कर जाता है। इससे लाखों रुपये का नुकसान होता है। पिछले कई सालों से प्रशासन तालाब के पानी के लिए रास्ता निकालने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। इसलिए किसानों के सामने सवाल यह है कि परिवार का भरण-पोषण कैसे किया जाए और बैंक का कर्ज कैसे चुकाया जाए। फसल खराब होने पर इन किसानों ने येवला तहसील कार्यालय जाकर अपनी शिकायत की।
मुख्यमंत्री से शिकायत
किसानों ने अपनी शिकायत तहसीलदार से की। उन्होंने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले को तुरंत देखें और पानी के लिए नाला या जमा करने के लिए तालाब की व्यवस्था करे। किसानों ने यह भी मांग की कि हर बार होने वाले फसलों के नुकसान को रोका जाए। हर बार किसान बैंकों से कर्ज लेकर फसल लगाते हैं और भारी बारिश और बादलों के फट जाने से फसलों का लाखों का नुकसान होता है। एैसी स्थिती में किसानों के भूखे मरने का समय आ जाता है क्योंकि सरकार की ओर से इस नुकसान की भरपाई पूरी और समय पर कभी नहीं होती।