omicron variant

    Loading

    नाशिक : ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variants) के देश में अब तक 23 संक्रमित (Infected) पाए गए हैं। सोमवार को मुंबई में दो ओमिक्रोन संक्रमित पाए जाने के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) में ओमिक्रोन संक्रमितों की संख्या 10 हो गई है। यानी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ओमिक्रोन संक्रमित मरीज (Omicron Infected Patients) पाए गए हैं। इसके बाद राजस्थान (Rajasthan) का नंबर आता है। जयपुर के एक ही परिवार के 9 सदस्य ओमिक्रोन संक्रमित पाए गए हैं। सवाल है कि ओमिक्रोन का संक्रमण काफी तेज रफ्तार से बढ़ रहा है क्या ? यह डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले कितना ज्यादा या कम खतरनाक साबित हो सकता है ? इस पर विशेषज्ञों की राय है कि तुरंत मत व्यक्त करना जरा जल्दबाजी होगी।  महाराष्ट्र के कोरोना टास्क फोर्स का मत है कि ओमिक्रोन लहर का असर या कहर कितना ज्यादा या कम है ? इस सवाल का सही जवाब जानने के लिए और छह से आठ हफ्तों का वक्त लगेगा।

    ऐसे में टीकाकरण में तेजी लाने की जरूरत है। राज्य के जन स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. प्रदीप व्यास का कहना है कि ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए फिलहाल सतर्कता और सावधानी बरतने की जरूरत है। टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने की जरूरत है। कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है। पिछले कुछ दिनों से जब से कोरोना नियंत्रण में आया है, मास्क को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। यह घातक होगा। ओमिक्रोन के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सख्त नियमों का पालन करना होगा। फिलहाल यही सबसे अच्छा उपाय है।

    ओमिक्रोन संक्रमण फिलहाल सिर्फ विदेश से आने वाले यात्रियों में पाया गया है। महाराष्ट्र की कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी के मुताबिक, ओमाइक्रोन वेरिएंट के बारे में अभी और वैज्ञानिक और विस्तृत जानकारी आना बाकी है। इस पर हर स्तर पर शोध और अध्ययन शुरू हो गया है। फिलहाल घबराने की बजाय तत्पर रहने की जरूरत है। गुस्सा करने के बजाय शांत रहने की जरूरत है। कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट की तबाही को देखते हुए इस नए ओमिक्रोन वेरिएंट का भी गंभीरता से अध्ययन करने की जरूरत है। महाराष्ट्र टास्क फोर्स की राय है कि फिलहाल ओमिक्रोन का कनेक्शन विदेश यात्रा और विदेशी यात्रियों के संबंध में ही सामने आया है। ऐसे में विदेश से आने वालों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। विदेश यात्रा के संपूर्ण इतिहास और जानकारी का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

    ट्रेस, टेस्ट और उपचार का त्रिसूत्री सूत्र 

    टास्क फोर्स सदस्य डॉ. राहुल पंडित का मानना है कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले व्यक्ति की जीनोम सीक्वेंसिंग की पूरी जानकारी में करीब एक महीने का समय लगता है। इसलिए त्रिसूत्री सूत्र को शुरुआत में अपनाने की जरूरत है। यह फॉर्मूला ट्रेस, टेस्ट और ट्रीटमेंट है। यानी विदेश से आने वालों की तलाश कर जांच की जाए। अगर वे कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो उनका स्वाब तुरंत जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाना चाहिए। यदि वे ओमिक्रोन से संक्रमित पाए जाते हैं, तो उन्हें सख्त संगरोध के साथ इलाज किया जाना चाहिए। जब तक ओमिक्रोन संस्करण के बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आती है, तब तक यह त्रिसूत्र सूत्र इसके प्रसार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।