प्रशासन के पास वसूली के लिए पर्याप्त मनुष्यबल है, तो मराठी भाषा बोर्ड पर कार्रवाई के लिए मनुष्यबल नहीं

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    नाशिक : सभी दूकान (Shops) और प्रतिष्ठानों (Establishments) को मराठी भाषा (Marathi Language) में बोर्ड (Boards) लगाने के लिए अधिनियम प्रशासन (Administration) ने लागू किया है, लेकिन यह नियम दस्तावेज (Documents) में ही दिखाई दे रहा है। इस नियम पर कार्य करने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त मनुष्यबल (Manpower) न होने से राजनीतिक दल (Political Parties) आक्रमक हो गए है। कैरिबैग सहित अन्य वसूली के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त मनुष्यबल है, लेकिन मराठी भाषा में बोर्ड को लेकर कार्रवाई करने के लिए प्रशासन के बाद पर्याप्त मनुष्यबल नहीं है। प्रशासन की यह नीति राज्य सरकार की नीति स्पष्ट कर रही है। बता दे कि पिछले वित्त बजट अधिवेशन में राज्य सरकार ने सभी दूकान और प्रतिष्ठान के बोर्ड मराठी भाषा में हो, इसलिए अधिसूचना जारी की। इसके बाद श्रम उपायुक्त वि. ना. माली ने जिले में इस बारे में अधिनियम लागू करने की बात स्पष्ट की। सरकार के अधिसूचना में मराठी भाषा बोर्ड के लिए प्रभावी रूप से कार्रवाई करने की बात स्पष्ट की गई है। परंतु प्रशासन के पास मनुष्यबल का अभाव होने से कार्रवाई न होने की बात प्रशासन ने स्पष्ट की है। साथ ही पहले जनजागृति और बाद में नोटिस भेजी जाएगी। इसके बाद जरूरत पड़ने पर दंडात्मक कार्रवाई ऐसा फार्म्यूला प्रशासन ने निश्चित किया है।

    राजनीतिक दलों के पदाधिकारी आक्रमक हो गए

    इसके चलते मराठी भाष बोर्ड कार्रवाई के लिए बहुत समय लगने वाला है। प्रशासन ने मनुष्यबल का अभाव होने की बात करने से राजनीतिक दलों के पदाधिकारी आक्रमक हो गए है। महाराष्ट्र में मराठी भाषा का आदर होने के लिए दूकान और प्रतिष्ठानों पर मराठी भाषा का बोर्ड होना जरूरी है। जब कैरी बैग को लेकर कार्रवाई करनी होती है, तब प्रशासन के पास मनुष्यबल होता है। वसूली के लिए पूरा प्रशासन रास्ते पर उतरता है। परंतु मराठी भाष बोर्ड का मुद्दा सामने आते ही प्रशासन के पास मनुष्यबल का अभाव होता है। इसके चलते प्रशासन मराठी भाषा बोर्ड को लेकर उदासीन होने की बात स्पष्ट होती है। प्रशासन की इस भूमिका के लिए राज्य सरकार जिम्मेदारी है। राज्य सरकार की इस नीति से ही आज मराठी भाषा बोर्ड का मुद्दा पीछे हट रहा है। 

    भारतीय जनता पार्टी यह सभी जाति, धर्म और सभी भाषा का आदर करती है। महाराष्ट्र में मराठी का आदर हो, जिसमें कोई दो राह नहीं है। परंतु आज की स्थिति में कई समस्या है, जिस और राज्य सरकार ने ध्यान देने की जरूरत है। आज राज्य में दिन ब दिन महंगाई बढ़ रही है। किसानों की फसल को सही दाम नहीं मिल रहा है। ओबीसी आरक्षण की समस्या है। ऐसे में सरकार ने इस ओर ध्यान देना चाहिए। किस विषय को प्राथमिकता देनी चाहिए? कम से कम इसका तो राज्य सरकार विचार करें। : (गिरीश पालवे, शहराध्यक्ष, बीजेपी)

    राज्य सरकार की गलत नीति के चलते ही मराठी भाषा बोर्ड का मुद्दे को लेकर प्रशासन लापरवाही दिखा रही है। वसूली के लिए प्रशासन के पास कभी भी मनुष्यबल का अभाव नहीं होता है। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने शुरुआत से ही मराठी भाषा बोर्ड को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। देरी से ही सही, लेकिन राज्य सरकार ने मराठी भाषा बोर्ड को लेकर निर्णय लिया, जिसे लेकर प्रभावी रूप से कार्रवाई करने की जरूरत है। : (दिलीप दातीर, शहर अध्यक्ष, मनसे)

    राज्य सरकार ने मराठी भाषा बोर्ड को लेकर निर्णय लिया है। व्यावसायिक, व्यापारियों ने खुद अपनी दूकान और प्रतिष्ठानों के बोर्ड मराठी भाषा में करने चाहिए। महाराष्ट्र में मराठी भाषा का आदर रखने की जिम्मेदारी सभी की है। इस बारे में कार्य करना अपेक्षित है। प्रशासन को शिवसेना के मदद की जरूरत होगी तो हम करने के लिए तैयार है। : (सुधाकर बडगुजर, शहराध्यक्ष, शिवसेना)