
लासलगांव: प्याज (Onion) कब किसको समस्या में डाल देगी, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। इसमें किसान (Farmers), व्यापारी (Traders) और उपभोक्ता (Consumers) सभी शामिल हैं। लासलगांव कृषि मंडी समिति में हर दिन प्याज के दाम (Onions Prices) घटने से प्याज उत्पादक किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं। उन्हें संकट से बाहर निकालने के लिए प्याज को अच्छा दाम मिलना आवश्यक है। इसके लिए व्यापारियों के साथ लासलगांव कृषि मंडी समिति प्रशासन की ओर से प्रयास जारी है। ऐसे में कंटेनर का किराया (Container Fares) बढ़ने से प्याज का निर्यात प्रभावित हो गया है। इससे राहत देने के लिए केंद्र सरकार से 10 प्रतिशत निर्यात अनुदान देने की मांग की जा रही है।
गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के सुख सागर आदि स्थानों पर लाल प्याज की आवक बड़े तौर पर हो रही है। लासलगांव सहित नाशिक जिले की प्रमुख मंडी और अहमदनगर, पुणे जिले के चाकण और सोलापुर कृषि मंडी समिति में लाल प्याज के साथ गर्मी के प्याज की आवक शुरू हो गई है। परिणामस्वरूप प्याज के दाम हर दिन गिर रहे हैं।
15-20 दिनों में बंद हो जाएगी लाल प्याज की आवक
लाल प्याज को सर्वसाधारण दर 750 रुपए तो गर्मी के प्याज को सर्वसाधारण दर 1,000 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। इसके चलते प्याज उत्पादक किसानों का खर्च भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में लाल प्याज की आवक 15-20 दिनों में खत्म हो जाएगी, तो गर्मी के प्याज की आवक बड़े तौर पर होगी। गर्मी की प्याज 5-6 माह तक ठीक-ठाक रहती है। इसलिए विदेश में गर्मी के प्याज की अधिक मांग होती है। विदेश में प्याज निर्यात करने के लिए कंटेनर का किराया दोगुणा बढ़ने से प्याज निर्यातक व्यापारी परेशान हो गए हैं।
76 देशों में किया जाता है प्याज का निर्यात
लासलगांव से बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सिंगापुर, इंडोनेशिया, कतर, कुवैत, मॉरिशस, सउदी अरब, बेहरीन, ओमान, विएतनाम, मालदीव, यूनाइटेड किंगडम, थाईलैंड, ब्रुनेई, रूस, ग्रीस, हांगकांग, पाकिस्तान, इटली, नीदरलैंड, सेशल्स, कोमोरेझ, फ्रान्स, केनिया, कनाडा, स्पेन, यूनाइटेड स्टेट्स आदि देशों के साथ कुल 76 देशों में प्याज का निर्यात होता है। दुबई में प्याज ले जाने के लिए कंटेनर को किराए के रूप में 2 हजार डॉलर देने पड़ते हैं। अब वहीं किराया 3 हजार डॉलर हो गया है। वहीं श्रीलंका, सिंगापुर, मलेशिया के लिए कंटेनर 1 हजार 900 डॉलर में मिलते थे। अब वह ढाई हजार डॉलर से अधिक हो गया है। इसके चलते प्याज का निर्यात प्रभावित हुआ है। इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने अनुदान देने की मांग प्याज व्यापारी कर रहे हैं।