नाशिक : ढोल बजाते हुए नाशिक जिले (Nashik District) से शुरू की गई देश की पहली किसान रेल (Kisan Rail) विगत 5 महीने से बंद है। इससे किसानों (Farmers) का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। करोड़ों रुपए का कारोबार ठप्प हुआ है। बताया जा रहा है कि, कोयले (Coal) के अभाव में यह रेल बंद की गई है, जिसे फिर से शुरू करने की मांग किसान कर रहे है। यह रेल 2020 में 8 अगस्त को शुरू हुई थी, जो नाशिक शहर के देवलाली से पटना तक दौड़ी।
देश अंतर्गत बजार तक कृषि फसल को पहुंचाने के लिए इस रेल की मदद हुई, जिसका किसानों को बड़े पैमाने पर फायदा हुआ। यह रेल 13 अप्रैल 2022 से बंद हुई है। गर्मी के मौसम अर्थात मार्च से अप्रैल महीने से राज्य में कोयले की किल्लत महसूस हो रही है। इसलिए कोयला यातायात और अन्य कारण देकर रेल बंद की गई है। इससे किसानों में व्यापक नाराजगी देखने को मिल रही है।
इस प्रकार हुआ परिणाम
किसान रेल सप्ताह में चार दिन देवलाली से रवाना होती है। 22 बोगियों में से देवलाली 8, नाशिक रोड में 4, लासलगाव में 2, मनमाड में 8 बोगियां आरक्षित करने का नियोजन किया गया था। एक बोगी से 24 टन माल पहुंचता है। एक किलो के लिए 2.20 पैसे किराया वसुला जाता है। एक बोगी का किराया 50 हजार रुपए था। उर्वरीत 50 हजार केंद्र का अनुदान है। इसलिए किसानों को फायदा मिलता था। अब, यात्री गाड़ी से फसल रवाना करने के लिए प्रति किलो 6.50 रुपए किराया देना पड़ता है। किसान रेल प्रति दिन 500 टन माल रवाना होता है। जबकि, यात्री गाड़ी से केवल 15 टन माल रवाना होता है। किसान रेल बंद होने से सरकार का राजस्व प्रभावित हो रहा है और किसानों का भी नुकसान हो रहा है।