farmer ran a tractor on the ready crop of Cauliflower
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नासिक: महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (Maharashtra Pollution Control Board) के अंबड औद्योगिक क्षेत्र (Ambad Industrial Area) में प्रदूषण (Pollution) के लिए जिम्मेदार सैकड़ों कंपनियों पर कार्रवाई कर ताला लगाने के बाद भी वहां शेष बची कंपनियों का रसायनयुक्त पानी (Chemical Water) नदियों-खेतों में छोड़े जाने से फसलें खराब हो रही हैं। यहां के कई किसानों (Farmers) ने अपने खेत में लगी गोभी की फसल रासायनिक पानी के कारण खराब होने की वजह से ट्रैक्टर चलाकर स्वयं ही नष्ट कर दी।  

अंबड गांव के किसान ने अपने 2 एकड़ खेत में गोभी की खेती की थी, लेकिन कंपनी के रासायनिक युक्त पानी से उनके खेत में लगी गोभी की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई, जिससे किसान को करीब 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ। गोभी खाने योग्य नहीं थी, इसलिए किसान ने गुस्से में आकर उस पर ट्रैक्टर चला दिया। नामदेव शिरसाट, विष्णु शंकर दातीर, नामदेव धोंडीराम दातीर, शांताराम पाडोल, सुभाष शिरसाट, गोविंद शिरसाट, अशोक शिरसाट, संतु मोरे नामक किसानों की भी गोभी की फसल को नुकसान हुआ है।

आंखें मूंद कर बैठा है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 

समाजसेवियों ने किसानों से कहा है कि वे नासिक महानगरपालिका प्रशासन पर 200 करोड़ रुपए का दावा ठोंक कर अपनी नुकसान भरपाई कराने पर जोर डालें। अंबड इंडस्ट्रीयल इस्टेट में कई कंपनियां व्यावसायिक और औद्योगिक नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस पर आंखें मूंदे हुए है। कुछ अधिकारियों पर पर पैसे लेने का आरोप भी लगाया जा रहा है।

क्यों नहीं होती कार्रवाई ? 

कंपनियों का गंदा पानी सीधे खुली खेतों, जलाशयों में छोड़ा जा रहा है। यही पानी 10 किमी के दायरे में रिसता है। इस पानी से किसानों की फसलें जल जाती हैं। नागरिकों और किसानों ने प्रशासन से उचित कार्रवाई करने की मांग की है। इस गंभीर मुद्दे पर कई आंदोलन के बाद भी कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई? ऐसा सवाल स्थानीय निवासी उठा रहे हैं। कोई भी कंपनी इस तरह के रासायनिक बहिस्राव को खुले में नहीं छोड़ सकती, उसके लिए कंपनी में ही शुद्धिकरण मशीन का होना जरूरी है। अगर कंपनी के पास यह डिवाइस नहीं है तो कार्रवाई की उम्मीद है। नागरिक यह भी आरोप लगा रहे हैं कि कई कंपनियों में ईटीपी प्लांट के नाम पर दूषित पानी को कार में भरकर कहीं बाहर प्राकृतिक नालों में बहा दिया जाता है। 

पहले औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन चली जाती थी। अब सवाल यह है कि बची हुई जमीन में खेती कैसे की जाए। किसानों के परिवार व्यवसाय शुरू करते हैं, तो उन्हें घेर लिया जाता है, इसलिए सभी किसान एक साथ आएंगे और सीधे मुख्यमंत्री के आवास तक मार्च निकालेंगे।

-साहेबराव दातीर, अध्यक्ष, परियोजना पीड़ित बचाव संघर्ष समिति

गोभी की खेती के लिए 5 लाख रुपए तक खर्च कर दिए, लेकिन पूरी फसल जल गई। ट्रैक्टर को पूरी फसल के पलटना पड़ा, ऐसे ही चलता रहा तो हम कैसे जिएंगे।

-अरुण दातीर, किसान

कई बार फॉलोअप करने के बाद भी इस गंभीर मामले पर आंखें मूंद ली जाती हैं। सवाल यह है कि किसान अपील आखिर किससे करे? इसलिए अब सभी किसान मुख्यमंत्री के बंगले तक पैदल मार्च निकालेंगे और यहां की सही स्थिति बताएंगे।

-शांताराम फाडोल, सामाजिक कार्यकर्ता