Fake Covid Vaccination Camps : After Mumbai, ED will investigate fake covid vaccination camp in Kolkata
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    सिन्नर : केंद्र सरकार (Central Government) ने 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों (Children) का टीकाकरण (Vaccination) करने के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान (Campaign) शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि यह कल की पीढ़ी को कोरोना संकट से बचाने का अभियान है, लेकिन सिन्नर की नगर परिषद और उप जिला अस्पताल (Sub District Hospital) ने अभियान को गंभीरता से नहीं लिया। अभियान के शुभारंभ के दिन ही संबंधित अधिकारियों और पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर शहर में टीकाकरण अभियान (Vaccination Campaign) चलाया गया। दुर्भाग्य से, पहले दिन के अंत में, टीकाकरण की संख्या 100 तक भी नहीं पहुंच पाई।

    सरकार ने शहर के लिए नगर परिषद अस्पताल और ग्रामीण उप-जिला अस्पताल में 2 टीकाकरण केंद्र शुरू किए हैं, इन दोनों केंद्रों पर 200-200 वैक्सीन देने का लक्ष्य है। दरअसल महानगरपालिका अस्पताल में 25 और उप जिला अस्पताल में 70 बच्चों का ही टीकाकरण हुआ। लेकिन नगर परिषद भंग कर दी गई है, नगर परिषद के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया गया है। इस अभियान को प्रशासक या मुख्य अधिकारी के हाथों शुरू करना संभव है, चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशांत खैरनार ने स्वयं अभियान की शुरुआत की।

    नगर परिषद के पास ही उप-जिला अस्पताल है

    इसकी शुरुआत उप जिला अस्पताल में विधायक माणिकराव कोकाटे के हाथों करना संभव था लेकिन विधायक कोकाटे उप-जिला अस्पताल में नहीं पहुंचे और उनकी बेटी जिला परिषद सदस्य सिमंतिनी कोकाटे को विधायक मान कर उनके द्वारा यह कार्यक्रम किया जान था। सोमवार 3 जनवरी को शहर में सावित्रीबाई फुले जयंती के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। नगर परिषद के बरामदे में सावित्रीबाई की एकमात्र प्रतिमा स्थापित की गई है। सिमंतिनी कोकाटे ने नगर परिषद में जाकर माल्यार्पण कर प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी। इस नगर परिषद के पास ही उप-जिला अस्पताल है।

    हाथों टीकाकरण अभियान चलाना भी संभव था

    टीकाकरण की शुरुआत के लिए सीमंतिनी का वहां जाना संभव था। लेकिन उन्हें वहां जाने से रोक दिया गया। पंचायत समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के हाथों टीकाकरण अभियान चलाना भी संभव था। उल्लेखनीय है कि संगीता पावसे, अध्यक्ष और उपसभापति संग्राम कातकाडे दिन भर पंचायत समिति में रहे। लेकिन उन्हें एक साधारण फोन कॉल करने का शिष्टाचार भी नहीं दिखाया गया था। पिछले डेढ़ साल में उप-जिला अस्पताल में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन की तरह ही व्यवहार किया गया है। डॉ. लहाड़े ने स्वयं अभियान चलाया और सभी को अभियान से दूर रखा।