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    नाशिक : नाशिक (Nashik) को वाइन (Wine) का कैपिटल (Capital) कहा जाता है। लेकिन सवाल यह है कि यह वाइन कैपिटल बना कैसे। राज्य सरकार (State Government) द्वारा एक बड़ा निर्णय लिए जाने के बाद यह सवाल और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।

    सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के मुताबिक अब राज्य में किराना दुकानों और सुपरमार्केट (Supermarket) में भी वाहन विक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। महाराष्ट्र के नाशिक में वाइन के उत्पादन को लेकर एक अलग पहचान है। नाशिक में पहली वायनरी 30 वर्ष पहले शुरू हुई थी। वहीं से नाशिक का नाम वाइन कैपिटल पड़ गया। फिलहाल देश में 42 वायनरी है, इनमें से 22 वायनरी अकेले नाशिक में है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नाशिक को वाइन का कैपिटल क्यों कहा जाता है।

    ऐसे पड़ा पहला कदम

    मराठवाडा का औरंगाबाद बीयर निर्माण में सबसे आगे है। नाशिक आज वाइन निर्माण में एक अलग पहचान बना चुका है। महाराष्ट्र और कर्नाटक वाइन के निर्माण में मुख्य भूमिका निभा रहे है। राज्य के नाशिक, पुणे, सोलापुर, सांगली में बड़े पैमाने पर वाइन के लिए उपयोगी अंगूर का उत्पादन होता है। नाशिक जिले में 1950 से अंगूर का उत्पादन हो रहा है। नाशिक जिले के माधवराव मोरे, हंबीरराव फडतरे, श्यामराव चौगुले, प्रल्हाद खडांगले, जयवंत गायकवाड, अशोक गायकवाड, सदाशिव नाठे, जगदीश होलकर, शिवाजी आहेर, राजेश जाधव, हिरामण पेखले इन उद्यमियों ने वाइन के उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    पिंपेन की शुरुआत कैसे

    नाशिक जिले में पिंपलगांव बसवंत के प्रगतिशील किसान नेता माधवराव मोरे ने पहली बार सहकारिता के तहत वायनरी शुरू की। उन्होंने इसका नाम दिया पिंपेन। इससे पिंपलगांव का नाम सामने आया। इस पिंपेन ने फ्रांस के हार्बल्ट एंड फिल्स इपर्नरी वायनरी के साथ करार किया। इसके तहत वाइन का निर्माण, विक्री जैसे कामशुरू हुए। इसके बाद वाइन के लिए आवश्यक अंगूर का कई जगह उत्पादन हुआ। खासकर शार्डोनी, पिनॉट नॉयर जैसे अंगूर की फसल हजारों एकड़ में लगाई गई। इन अंगूरों का वाइन के निर्माण में अच्छा उपयोग होता है। पिंपेन ने बेहद कम समय में अपनी पैठ बना ली। 5 लाख बोतल से शुरू हुआ उत्पादन देखते देखते काफी ज्यादा बढ़ गया। यूरोप और फ्रांस में पिंपेन की भारी मांग होने लगी। लेकिन बाद के दिनों में मैनेजमेंट से तालमेल नहीं बैठा। आखिरकार 2003 में पिंपेन ने वाइन का निर्माण बंद कर दिया।

    फिलहाल 22 वायनरी

    देश में फिलहाल 42 वायनरी है। इनमें से 22 वायनरी अकेले नाशिक में है। ऐसे में नाशिक वैली वाइन केंद्र सरकार के लिए महत्वपूर्ण है। यहां बेहद ठंड होने की वजह से यह वाइन के निर्माण के लिए पोषक वातावरण उपलब्ध कराता है। मुंबई और पुणे पास ही है जहां बड़े पैमाने पर अंगूर का उत्पादन होता है। जिले में करीब डेढ़ से पौने दो लाख एकड़ में अंगूर का उत्पादन होता है।