Listen to our government too, women are risking their lives for drinking water in Trimbakeshwar
File Photo

    Loading

    त्र्यंबकेश्वर : खरखेत ग्राम पंचायत (Kharkhet Gram Panchayat) परिसर में 12 पाड़े है। यहां के लगभग सभी परिवार (Families) खेती (Farming) के लिए पाड़ा से देढ़ किलो मीटर पर होने वाले तास नदी (Taas River) के तट पर रहते है। 25 आदिवासी (Tribal) बस्ती में 300 से अधिक परिवार है। यहां की महिलाओं को हर दिन पीने के पानी (Drinking Water) के लिए जानलेवा संघर्ष (Deadly Struggle) करना पड़ रहा है। क्योंकि यह महिला खाई पर डाली गई लकड़ी पर चल कर यात्रा कर रही है।

    सरकार की कई योजनाएं गांव के लिए आती है, लेकिन इन बस्ती तक नहीं पहुंचती है। यह इन आदिवासियों का दुर्भाग्य है। बस्ती के नजदीक नदी है। लेकिन शुद्ध पानी न होने से झरने से महिलाओं को पानी लाना पड़ता है। झरने नदी के उस पर होने से महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए कसरत करनी पड़ती है। हरसुल की ओर से आने वाली तास नदी यहां से बहती है। इस नदी के दोनों ओर 30 फीट खाई है। नदी का पात्र भी 20-25 फीट गहरा है। नदी के दूसरी ओर जाने के लिए महिलाओं को हर दिन अपने जान को जोखिम में डालकर पानी लाना पड़ता है। लड़की से पैर फिसला तो खाई में गिरने की संभावना हर समय होती है। कई ग्रामीण खाई में गिर चुके है।

    नदी के नजदीक खेती, फिर भी बारिश के पानी पर होती है खेती

    लड़की से चलकर विद्यार्थी हरसुल, पेठ आदि परिसर में शिक्षा के लिए जाते है। बस्ती की ओर आने के लिए सावरपाडा-शेंद्रीपाडा सड़क आवश्यक है। सावरपाडा से हरसुल को जाने के लिए 40 रुपए लगते है। यह सड़क बनने पर 20 रुपए किराया लगेगा। परिसर के अन्य नदी पर पुल का निर्माण किया गया है, लेकिन तास नदी पर पुल न बनाने से समस्या कम नहीं हो रही है। नदी के नजदीक खेती है, लेकिन बिजली की व्यवस्था न होने से पानी लेने के लिए मोटर का उपयोग नहीं किया जा सकता। बारिश की पानी पर ही खेती की जाती है। बिजली की व्यवस्था होने पर 12 माह फसल की जा सकती है। यह जानकारी भगवान खोटरे ने दी। खेती करने के लिए कई बस्ती गाव से दूर नदी तट परिसर में है। इन बस्ती की महिलाओं को पीने के पानी के लिए खाई पर डाली गई लकड़ी से गुजरना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए पुल का निर्माण जरूरी है। यह जानकारी अमृत राऊत ने दी। बस्ती परिसर में वन्य जीव भी है। सामान खरीदने के लिए नागरिकों को हरसुल जाना पड़ता है। बस्ती से शेंद्रीपाडा सड़क होने पर स्कूल को अस्पताल जाने के लिए व्यवस्था होगी। यह जानकारी गोपाल निंबारे ने दी।