The movement of zip and puns by-election intensified, all party leaders increased public relations

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    – संतोष भारस्कर

    नाशिक : आगामी नाशिक महानगर पालिका (Nashik Municipal Corporation) चुनाव (Election) में महाविकास आघाडी (Maha Vikas Aghadi) के संयुक्त उम्मीदवार खड़े करने पर बड़ी संख्या में मतदान होने और जीत की पूरी संभावना है, लेकिन अब इच्छुक उम्मीदवारों (Candidates) की नींद हराम हो गई है। दरसअल नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Election) में महाविकास आघाडी गठबंधन का सपना टांय टांय फीस होता नजर आ रहा है। ठाणे महानगर पालिका चुनाव में शिवसेना ने ‘एक ला चलो रे’ की नीति बनाई है। ठाणे शिवसेना के सर्वेसर्वा एकनाथ शिंदे ने सभी सीटों पर शिवसेना के उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। अगर यही पैटर्न नाशिक में लागू होता है तो महाविकास आघाडी से अलग शिवसेना चुनाव लड़ेगी।

    महानगरपालिका चुनाव को लेकर अब तक अनिश्चितता है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के आला नेता चुनाव का मास्टर प्लान तैयार करने में व्यस्त है। राज्य में 18 महानगरपालिका के चुनाव होंगे, जिसे लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। राज्य सरकार के कामकाज को लेकर नागरिक संतुष्ट है या नहीं? यह इस चुनाव से स्पष्ट होगा। इसलिए सभी पार्टियों के लिए स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव महत्वपूर्ण हो गए है। राज्य में 2019 में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस अलग-अलग विचारधारा के राजनीतिक दलों ने मिलकर महाविकास आघाडी को जन्म दिया। राज्य के मतदाताओं को महाविकास आघाडी मंजूर है या नहीं यह महानगरपालिका चुनाव से स्पष्ट होगा। अधिकांश शहरी मतदाता शिक्षित होने के कारण राजनीतिक पार्टियों ने शहरों की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है।

    भाजपा को रोकने के लिए हर संभव प्रयास

    भाजपा को रोकने के लिए स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महाविकास आघाडी एकजुट रहते हुए चुनाव लड़ने का प्रयास कर रही है। महाविकास आघाडी होने पर एक साथ मतदान होगा, उम्मीदवार के विजय होने की अधिक संभावना होगी। अनेक इच्छुकों ने आघाडी के लिए भगवान के पास मन्नतें मांगी है, लेकिन ठाणे शहर में महाविकास आघाडी पैटर्न का जन्म होने से पूर्व ही नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे की भूमिका से पैटर्न बिखर गया है। मुंबई के बाद ठाणे में शिवसेना मजबूत है। इसलिए शिवसेना ने ठाणे में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार देने का निर्णय लिया है। इसलिए नाशिक में भी महाविकास आघाडी टांय टांय फिश की कगार पर पहुंच गई है।

    समर्पित कार्यकर्ताओं का भी विरोध

    महाविकास आघाडी के लिए नेता सकारात्मक है, लेकिन कार्यकर्ता स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की मानसिकता में है। महाविकास आघाडी के पैटर्न पर पिछले अनेक वर्षों से काम करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलने की भावना निर्माण हुई है। इसलिए चुनाव से पूर्व महाविकास आघाडी को लेकर कार्यकर्ताओं का रुख पूरी तरह से बदला हुआ है।