महानगरपालिका  ने बढ़ाया 3 से 10 गुना लाइसेंस शुल्क

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    नाशिक. कोरोना संकट (Corona Crisis) के चलते शहर के विक्रेता आर्थिक संकट का सामना कर रहे है। ऐसे में महानगरपालिका  प्रशासन (Municipal Administration) ने उन्हें जोर का झटका देते हुए लाइसेंस (License) शुल्क 3 से 10 गुणा बढ़ा दिया है, जिसे अंतिम मंजूरी के लिए महासभा पर रखा गया है। अगर महासभा इस प्रस्ताव को मंजूर करती है तो शहर के हजारों विक्रेता परेशान होने वाले है।

    महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम धारा 386 अन्वये खुदरा विक्रेताओं से लाइसेंस शुल्क वार्षिक रूप में वसूल किया जाता है। संपत्ती टैक्स और जल टैक्स बकाया वसूली करने में नाकाम होने के बाद महानगरपालिका ने अब आय बढ़ाने के लिए लाइसेंस शुल्क में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। कोरोना महामारी के चलते महानगरपालिका की आय कम हो गई है। देढ़ साल से महानगरपालिका की आय 500 करोड़ से कम हो गई है। दूसरी ओर संपत्ती और जल टैक्स बकाया रकम 400 करोड़ तक पहुंच गया है। नगर रचना विभाग की भी आय 103 करोड़ रुपए से कम हो गई है। इसके चलते महानगरपालिका का कामकाज केवल जीएसटी अनुदान पर ही शुरू है।

    विक्रेताओं को जोर का झटका 

    पिछले 11 सालों में लाइसेंस शुल्क न बढ़ाने की बात कर महानगरपालिका से उसमें 3 से 10 गुना बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए महासभा पर रखा गया है। आटा चक्की के लिए पहले 150 रुपए लिए जाते थे, लेकिन इस निर्णय से एक हजार रुपए देने होंगे। पटाका निर्मिती और विक्री के लिए पहले 100 रुपए लिए जाते थे, लेकिन अब दो हजार रुपए देने होंगे। ईट-मिट्टी के बर्तन या चुना, फर्श बनाने के लिए पहले प्रत्येक 100 चौरस मीटर के लिए 60 रुपए थे, लेकिन अब 500 रुपए देने होंगे। 2011-12 में लाइसेंस शुल्क दर निश्चित किया गया था, लेकिन इस ओर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। परंतु अब महानगरपालिका प्रशासन ने लाइसेंस शुल्क बढ़ाकर विक्रेताओं को जोर का झटका दिया है।

    होर्डिंग का नहीं बढ़ाया गया शुल्क

    महानगरपालिका ने आय बढ़ाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाने का निर्णय लेते हुए होर्डिंग की आय की ओर ध्यान नहीं दिया है। शहर में बड़े तौर पर अनधिकृत होर्डिंग लगाए जाते है। होर्डिंगधारकों की पर्याप्त जानकारी भी महानगरपालिका के पास है। परंतु उन पर कार्रवाई करने के बजाए आम विक्रेताओं पर आर्थिक भार डाला गया है। चुनाव की पार्श्वभूमी पर प्रशासन द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव से भाजपा की भी समस्या बढ़ गई है। अब भाजपा क्या भूमिका अपनाती है? इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है।