प्याज उत्पादकों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है नाफेड का फैसला: संदीप जगताप

    Loading

    पिंपलगांव बसवंत : कोरोना महामारी के दौर की परेशानी से अभी किसान (Farmer) बाहर निकाला ही था कि उसके समक्ष ग्रीष्मकालीन प्याज (Onion) का उत्पादन खर्च भी न निकल पाने की स्थिति आई। प्याज उत्पादकों (Producers) के समक्ष आए संकट से बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) को मदद करनी चाहिए, लेकिन उसने भी किसानों को राहत न देकर नाफेड (Nafed) के माध्यम से बहुत कम प्याज खरीद कर प्याज उत्पादकों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है। ऐसा आरोप स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रा. संदीप जगताप (Prof. Sandeep Jagtap) ने लगाया है। 

    श्रीलंका में प्याज की भारी मांग

    प्रा. जगताप ने कहा कि नाफेड ने प्याज खरीदना बंद करने और खरीदे गए प्याज को बाजार में लाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि नाफेड के फैसले से प्याज उत्पादकों को मिलने वाले बाजार भाव में और कमी आएगी, इसलिए नाफेड का फैसला प्याज उत्पादकों की परेशानी ही उड़ाने वाला है। प्रा. जगताप ने कहा कि ग्रीष्मकालीन प्याज के उत्पादन की बढ़ी हुई लागत और भंडारित प्याज में कमी को देखते हुए 8 से 15 रुपए प्रति किलो की मौजूदा कीमत बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अगर देश के किसानों को बचाना है तो उनकी कृषि उपज को उचित बाजार मूल्य मिलना ही चाहिए। इसकी उत्पादन लागत और आय कभी मेल नहीं खाती, इसके लिए सरकार ने केंद्रीय संगठन नाफेड के जरिए महाराष्ट्र में ढाई लाख टन प्याज का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य को ढाई लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर पांच लाख मीट्रिक टन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाफेड ने बहुत कम कीमत पर प्याज खरीदा है। 25 लाख टन की खरीद का लक्ष्य पूरा होने पर खरीद रोक दी गई थी, इसकी वजह नाफेड बता रहा है। साथ ही केंद्र को उत्पादन लागत पर विचार कर किसानों के बाजार भाव में सामंजस्य बिठाना चाहिए। पुणे और नाशिक के बीच दो सौ रुपए का अंतर भी अनुचित है। कम से कम नाफेड को सभी राज्यों में प्याज 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदना चाहिए और इस प्यार को घरेलु स्तर पर बेचने के बजाय नाफेड को दुनिया में नए बाजार तलाशने चाहिए। श्रीलंका में प्याज की भारी मांग है। प्रा. जगताप ने कहा कि केंद्र सरकार पच्चीस रुपए प्रति किलो की दर से किसानों से प्याज खरीदकर पड़ोसी श्रीलंका को प्याज (वस्तुओं) के रूप में मदद करेगी, तो भारत के प्याज उत्पादक किसान और श्रीलंका के नागरिक समान होंगे। केंद्र सरकार को भी इस पर विचार करना चाहिए, तभी प्याज किसानों की आंखों में आंसू कम होंगे। उन्होंने कहा केंद्र सरकार को नाफेड के जरिए प्याज की खरीद जारी रखनी चाहिए, अन्यथा सरकार को इसके भयंकर परिणाम झेलने पड़ेंगे। 

    केंद्र सरकार की ओर से दिए गए लक्ष्य के अनुसार नाफेड ने नाशिक जिले के 157 केंद्रों से प्याज की खरीद की है। नाशिक जिले में आमतौर पर 2.37 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद होती है। लासलगांव और पिंपलगांव बसवंत में, नाफेड की कुल क्षमता 6,000 मीट्रिक टन है। बाकी प्याज को सहयोगी एजेंसियों के गोदामों में कहीं और रखा जाता है। शेष 13,000 मीट्रिक टन प्याज नाफेड के माध्यम से महाराष्ट्र के अन्य जिलों से खरीदा गया है। – (शैलेंद्र कुमार, अध्यक्ष फल और सब्जी विभाग नाफेड, नाशिक)