नासिक : म्हसरूल स्थित ज्ञानदिप गुरुकुल आश्रम (Gyandeep Gurukul Ashram) में चौदह वर्षीय आदिवासी छात्रा (Tribal Girl Student) को पॉर्न (Porn) दिखाकर उस पर लैंगिक अत्याचार (Sexual Harassment) करने की घटना सामने आई है। पीड़िता को बाल गृह में दाखिल किया गया है। आश्रम की अन्य बालिकाओं का भी लैंगिक शोषण होने की सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। आश्रम की 13 में से 5 से 6 लड़कियों ने उन पर लैंगिक अत्याचार होने का बयान पुलिस के पास दर्ज किया है।
आश्रम में शिक्षा, भोजन, निवास की निशुल्क सुविधा देने का झांसा देकर संदिग्ध हर्षल मोरे ने छात्राओं को आश्रम में प्रवेश दिलाने की जानकारी मिली है। दरम्यान, ज्ञानदीप गुरुकुल आश्रम में छात्रों पर अत्याचार और बलात्कार करने वाले संदिग्ध हर्षल बालकृष्ण मोरे (32, नि. माने नगर, म्हसरूल) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिसे जांच के लिए कोर्ट ने रिमांड पर पुलिस को सौंपा। इसके खिलाफ बलात्कार, पोक्सो, क्रूरता का प्रकरण दर्ज किया गया है। मामले की जांच सहायक आयुक्त दीपाली खन्ना कर रही है। एसीपी खन्ना ने आश्रम के अन्य छात्रों से चर्चा की। जांच में छात्रा ने मोरे संदर्भ में अनेक संदेहास्पद दावा किया है। इसलिए यह मामला गंभीर मोड़ पर पहुंचा है. पीड़िता के अलावा अन्य छात्राओं का लैंगिक शोषण होने की सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। इस मामले में वैद्यकीय रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद अत्याचार को लेकर जानकारी स्पष्ट होगी, लेकिन वर्तमान में संदिग्ध मोरे की समस्या बढ़ गई है। आश्रम में आदिवासी समाज की 14 छात्रा है। 13 से 15 वर्ष की छात्रों पर अत्याचार का संदेह। रो-हाऊस की तरह होस्टेल छात्रों का वास्तव दूसरे स्थान पर इमारत का किराया प्रति महीने 8 हजार रुपए।
इस तरह है मामला
पीड़िता सुरगाणा तहसील की रहिवासी है, जो छठी कक्षा की छात्रा है। संदिग्ध ने उसे आश्रम के पत्रें के कमरे में बुलाकर हाथ और पाव दबाने के लिए कहा। इस दौरान उसने पॉर्न फिल्म शुरू की। जबरन दिखाया, छात्रा ने विरोध करने पर तूने मेरा काम नहीं किया तो होस्टेल से निकालने की धमकी दी। इससे पूर्व भी इस प्रकार का प्रकरण सामने आया है। पीड़ित ने अपनी बहन को जानकारी देने के बाद घटना का खुलासा हुआ।
इस तरह देते थे, झांसा
द किंग फाउंडेशन के नाम से यह आश्रम है। संदिग्ध मोरे की सास ज्योती शिंदे और एक महिला छात्राओं की व्यवस्था संभालते है। उसकी पत्नी मालेगांव में रहती है। उन दोनों की पुलिस जांच कर रही है। मोरे आदिवासी परिसर में मजदूरी करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों को झांसा देता था। शिक्षा, निवास, भोजन निशुल्क होने की बात करते थे।