nashik muni ele

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    -संतोष भारस्कर

    नाशिक: नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Corporation Elections) नजदीक आते ही राजनीतिक दल (Political Party) दोबारा पुराने विषय को नए सिरे से पेश करने में जुट जाते हैं। बाढ़ रेखा, पार्किंग, गावठाण विकास, गोदा स्वच्छता, रिक्त पद भर्ती जैसे विषय साढ़े चार वर्ष में कभी भी चर्चा के लिए नहीं आए, लेकिन अब महानगरपालिका के चुनाव (Municipal Corporation Elections) नजदीक आते ही उक्त विषय चर्चा में आ रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों की सत्ता महानगरपालिका में आई और गई, लेकिन सत्ता में होने के बाद उक्त विषय को नहीं किया गया। अब चुनाव में उक्त विषय पर चर्चा कर एक बार फिर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। 

    अगले साल की शुरुआत में महानगरपालिका के चुनाव हो रहे हैं। प्रशासकीय स्तर पर प्रभाग रचना तैयार करने का काम शुरू हो गया है। राजनीतिक स्तर पर भी चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। विद्यमान नगरसेवक सहित इच्छुक पुराने विषय चर्चा में लाकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। बार-बार चर्चा में आने वाले विषयों में से कुछ विषय ऐसे हैं, जो 10 से 12 सालों से चर्चा में है। इस कालावधि में सभी राजनीतिक दलों की सत्ता कम-अधिक मात्रा में महानगरपालिका में होने के बाद भी विषय हल नहीं किया गया। कुल मिलाकर समस्या जस की तस रही। महानगरपालिका चुनाव की पार्श्वभूमी पर कभी हल न होने वाली समस्या को हल करने का आश्वासन दिया जा रहा है तो महासभा में नगरसेवक नए विषय पेश कर रहे हैं। रिक्त पद भर्ती, मनपा व्यावसायिक गालों की दर बढ़ोतरी कम करना, शालीमार चौक स्थित उड़ान पुल, सिंहस्थ के लिए हमेशा के लिए भूसंपादन आदि महत्वपूर्ण विषयों पर सालों से चर्चा हो रही है लेकिन इस समस्या को सत्ता आने के बाद भी हल नहीं किया गया। 

    2 से 1.5 हो गई FSI

    गोदावरी स्वच्छता का विषय इस साल हल होने की बात की जा रही थी। 2008 में गोदावरी नदी को बाढ़ आने के बाद गोदातट परिसर में लाल और नीली बाढ़ रेखा निश्चित की गई। यह दोनों रेखा में निर्माण कार्य को अनुमति नहीं है। बाढ़ रेखा निश्चित होने के बाद हजारों सम्पत्ति निर्माण अनुमति के बगैर फंस गई हैं तो नए निर्माण को अनुमति नहीं दी जा रही है। यह समस्या हल करने के बजाए उसे चुनावी मुद्दा के रूप में पिछले 12 सालों से उपयोग किया जा रहा है। शहर के गावठाण का विकास करने के लिए 4 फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) की मांग की जा रही है। यह विषय सरकार से संबंधित है। राज्य में भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आदि सभी दलों की सत्ता आ चुकी है। हर राजनीतिक दल सरकार से अधिक FSI और क्लस्टर की मांग कर रहा है, लेकिन 4 FSI नहीं मिला। पहले का 2 FSI कम कर 1.5 कर दिया है, जो चर्चा का विषय बन गया है। 

    शहर में पार्किंग का अभाव

    शहर का विस्तार हो रहा है। ऐसे में पार्किंग की समस्या गंभीर बन गई है। पार्किंग के अभाव में रास्ते पर वाहन लगाए जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप प्रदूषण सहित यातायात ठप हो रही है। वास्तविक मनपा ने पार्किंग स्लॉट विकसित करना आवश्यक होने के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने अपनी सत्ता के समय यह समस्या हल नहीं की, लेकिन इस समस्या को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। सुरक्षा विभाग की दीवार से 500 मीटर अंतर तक इमारत की हाईट की मर्यादा सुरक्षा विभाग ने 2017 में निश्चित की इसके चलते महानगरपालिका ने निर्माण अनुमति दिए हजारों इमारत निर्माणपूर्ण प्रमाणपत्र के अभाव वैसी की वैसे ही रही। इस समस्या को केंद्र और राज्य सरकार हल कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महानगरपालिका चुनाव आते ही ऐसी समस्याओं को हवा दी जाती है। चुनाव का नतीजा घोषित होते ही सत्ताधारी और विपक्ष दोनों भी सभी समस्याओं को भूल जाते हैं। कुल मिलाकर महानगरपालिका की सत्ता में कई बार सत्तातर होने के बाद भी समस्या जस की तस है।