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    नाशिक. कोरोना (Corona) ने जहां अंतरराष्ट्रीय व्यापार को कम कर दिया है, वहीं अब भारत (India) में प्याज (Onion) उत्पादकों के बीच चिंताएं बढ़ रही हैं। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्याज की अधिक मांग नहीं है। भारत से निर्यात किए जाने वाले प्याज के लिए पर्याप्त बाजार है। लेकिन अब पाकिस्तान (Pakistan) की सस्ती प्याज अंतरराष्ट्रीय बाजार में आ गई है, जो भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती बन सकती है। 

    वर्तमान में कई देशों में कोरोना लॉकडाउन के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्याज की ज्यादा मांग नहीं है। भारत से हर साल 37,000 कंटेनरों के जरिए प्याज का निर्यात किया जाता है, लेकिन इस साल यह संख्या घटकर 12,000 कंटेनर यानी करीब 70 फीसदी रह गई है। इसी तरह, पाकिस्तानी प्याज के लिए प्रतिस्पर्धा ने भारतीय प्याज उत्पादकों के लिए चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

    310 डॉलर प्रति टन पाकिस्तानी प्याज

    श्रीलंका में भारतीय प्याज 450 डॉलर प्रति टन मिल रही है, जबकि पाकिस्तानी प्याज 310 डॉलर प्रति टन मिल रही है। ऐसे में खरीदार पाकिस्तानी प्याज की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन यह भारतीय प्याज उत्पादकों के घबराने का कारण नहीं है। लासलगांव बाजार के जयदत्त होल्कर ने कहा कि प्याज की घरेलू मांग के कारण प्याज के बाजार भाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जयदत्त होल्कर ने कहा कि इसलिए प्याज उत्पादकों को डरना नहीं चाहिए और अपनी जरूरत के अनुसार प्याज उगाना चाहिए।

    फसल बीमा का अधिक लाभ देने का बड़ा फैसला

    सरकार राज्य में किसानों का शोषण करने वाली बीमा कंपनियों पर नकेल कसने के लिए एक नई नीति पर काम कर रही है, इसलिए बीमा कंपनियों की मनमानी से किसानों को काफी फायदा होने की संभावना है। राज्य के कृषि मंत्री भुसे ने मंगलवार को मुंबई में मीडिया से बात करते हुए यह टिप्पणी की। इसके अनुसार राज्य सरकार फसल बीमा के वितरण के लिए लाभ और हानि कैपिंग प्रणाली शुरू करने पर विचार कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार नई नीति बना रही है। इस नीति से राज्य के किसानों को फसल बीमा का अधिक लाभ मिलेगा। कृषि मंत्री भुसे ने कहा है कि पिछले साल फसल बीमा कंपनियों ने 5800 करोड़ रुपए में से केवल 900 करोड़ रुपए का वितरण किया था। इसलिए सरकार बीमा कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।