mechanical broom

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    नाशिक: नाशिक शहर (Nashik City) की सड़कों की साफ-सफाई के लिए बीजेपी (BJP) ने अपनी सत्ता काल में यांत्रिक झाड़ू का प्रस्ताव मंजूर किया था। अब यह 4 यांत्रिक झाड़ू जल्द ही नाशिक की बड़ी सड़कों की साफ-सफाई करेंगे। महानगरपालिका  के घनकचरा व्यवस्थापन विभाग के संचालक डॉ. आवेश पलोड और यांत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता बाजीराव माली ने भावनगर में यांत्रिक झाड़ू का प्रदर्शन देखा। इसके बाद वह नाशिक महानगरपालिका कमिश्नर और प्रशासक रमेश पवार (Commissioner Ramesh Pawar) को अपनी रिपोर्ट (Report) सौंपेंगे।

    केंद्र सरकार की ओर से नाशिक महानगरपालिका को यांत्रिक झाड़ू खरीदी के लिए 11 करोड़ 93 लाख रुपए की निधि मिली है। इसलिए झाड़ू खरीदने के लिए मनपा खर्च नहीं करने वाली है, लेकिन मनपा को 5 साल के लिए झाड़ू की देखभाल-दुरुस्ती के लिए 22 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। महासभा में शहर के रिंग रोड की साफ-सफाई के लिए यांत्रिक झाड़ू खरीदी करने का निर्णय लिया गया था, जिसका खर्च केंद्र सरकार के 15वें वित्त आयोग से मिली निधि से किया गया है। 

    एक यांत्रिकी झाड़ू के लिए 2 करोड़ 9 लाख रुपए खर्च होगा

    महानगरपालिका के 6 विभागों में 4 यांत्रिक झाड़ू का उपयोग किया जाने वाला है। शहर में 2 हजार 150 किलोमीटर की लंबी सड़कें हैं। इसमें 90 किलोमीटर रिंग रोड और बाह्य मोड की सड़कों की साफ-सफाई यांत्रिकी झाडू से की जाएगी। एक यांत्रिकी झाड़ू के लिए 2 करोड़ 9 लाख रुपए खर्च होगा। यांत्रिक झाड़ू खरीदी, ऑपरेटिंग और 5 वर्ष देखभाल-दुरुस्ती पर 22 करोड़ रुपए खर्च होगा, जिसे महासभा ने मंजूरी दी है। 

    शिवसेना ने किया था खरीदी का विरोध

    इस दौरान इस झाड़ू की खरीदी को लेकर शिवसेना ने बीजेपी पर जोरदार टिप्पणी की थी। 12 करोड़ के झाड़ू और देखभाल-दुरुस्ती सहित संचालन खर्च मिलाकर 33 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे। इसलिए शिवसेना ने यांत्रिक झाडू खरीदी का जमकर विरोध किया था। महानगरपालिका के पहले पंचवार्षिक से यांत्रिक झाड़ू खरीदी की चर्चा हो रही थी, लेकिन कामगार संगठन का विरोध होने से कई बार यह प्रस्ताव ठुकराया गया। पिछले साल यांत्रिक झाड़ू खरीदी करने का निर्णय लिया गया। ढाई करोड़ रुपए का यह यांत्रिक झाड़ू है, लेकिन देखभाल और दुरुस्ती का खर्च मिलाकर 10 करोड़ रुपए खर्च होने से विवाद हो रहा था। 

    सफाई कामगारों की भारी कमी

    सफाई कामगारों की भर्ती के लिए सरकार के अनुमति नहीं देने से पूर्व महापौर सतीश कुलकर्णी ने झाड़ू खरीदने का निर्णय लिया, लेकिन उनका समय खत्म होने के बाद भी झाड़ू खरीदी नहीं हुई। इसके बाद महानगरपालिका आयुक्त रमेश पवार ने महानगरपालिका पर होने वाले कुल आर्थिक बोझ को ध्यान में रखते हुए कुछ विकास कार्यों को दरकिनार कर दिया। इसमें यांत्रिक झाड़ू खरीदी शामिल थी। 

    भावनगर जाकर अधिकारियों ने देखा मशीन का प्रदर्शन

    झाड़ू खरीदी की निधि केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने से आयुक्त रमेश पवार ने झाड़ू खरीदी को अनुमति दी। इसके बाद झाड़ू की कार्यक्षमता का टेस्ट करने के लिए अधिकारी भावनगर गए थे। यहां पर उन्होंने झाड़ू का काम देखने के बाद झाड़ू से सड़कों की साफ-सफाई होने की बात की है। इस बारे में वह तुरंत रिपोर्ट महानगरपालिका कमिश्नर को सौंपने वाले हैं। कुल मिलाकर लगभग यांत्रिक झाड़ू खरीदी होना तय है।