
-सुधीर जोशी
नासिक: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन के बाद राज्य भर में बदले हालातों के बीच कौन शरद पवार के साथ है और कौन अजित पवार के साथ, इसे लेकर जारी चर्चाओं के बीच एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने अपनी ताकत दिखाने के लिए राज्य भर का दौरा करने की घोषणा की है। शरद पवार अपने दौरे का श्रीगणेश शनिवार को येवला निर्वाचन क्षेत्र से करेंगे। पवार की येवला में दोपहर 3 बजे सभा होगी।
बताया जा रहा है कि एनसीपी से बगावत कर शिंदे सरकार में शामिल हुए छगन भुजबल के कट्टर विरोधी माणिकराव शिंदे ने शरद पवार से मुंबई में उनके निवास स्थान सिल्वर ओक में मुलाकात की थी। उस दौरान 8 जुलाई को येवला में सभा आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। येवला में होने वाली इस सभा में शरद पवार क्या बोलेंगे, इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
येवला से दौरा शुरु करना बड़ी रणनीति का हिस्सा
पवार की सभा में एनसीपी के बागी नेता छगन भुजबल पर शरद पवार ज्यादा आक्रामक होंगे या अजित पवार, इस पर सभी का ध्यान लगा हुआ है। मुंबई में 5 जुलाई को हुए शक्ति प्रदर्शन में बीस साबित हुए अजित पवार के समर्थकों के बारे में शरद पवार क्या बोलेंगे, इस पर भी सभी का ध्यान होगा। येवला छगन भुजबल का निर्वाचन क्षेत्र है, इसलिए यहां से शरद पवार का राज्यव्यापी दौरा शुरू करना एक बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। छगन भुजबल शरद पवार के बहुत ही करीबी माने जाते रहे हैं, उनका अजित पवार के साथ जाना शरद पवार के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
बागियों को संदेश देने की कोशिश
येवला के दौरे के वक्त शरद पवार और अजित पवार के समर्थक जब आमने-सामने होंगे तो उस वक्त क्या स्थिति होगी। येवला दौरे के दौरान पवार के साथ दिखने वाले समर्थकों की संख्या से ही इस बात का खुलासा हो जाएगा कि येवला की जनता किसके साथ है। नासिक में भुजबल समर्थकों द्वारा राष्ट्रवादी भवन पर कब्जे करने के कारण शरद-अजित के समर्थकों में कहीं टकराव न हो जाए, इस बात को लेकर आशंका बनी हुई है। शरद पवार को नासिक जिले में संगठन स्तर पर अजित पवार की तुलना में ज्यादा समर्थन मिला हुआ है। ऐसे में येवला की सभा को सफल बनाकर बागियों को यह बताया जाएगा कि शरद पवार की बाजुओं में अभी-भी दमखम है।
सभा पर लोगों की लगी निगाहें
छगन भुजबल को शरद पवार ने सदैव अच्छे पद दिए हैं। उन्हें एनसीपी में रहते हुए उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ गृहमंत्री बनने का भी अवसर मिला है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल की सजा के दौरान भी शरद पवार ने छगन भुजबल को बहुत नैतिक बल दिया था, लेकिन भुजबल सब कुछ भुलकर अजित पवार के साथ चले गए। जिस तरह से 5 जुलाई का दिन एनसीपी के लिए मुंबई के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण था, उसी तरह से 8 जुलाई का दिन छगन भुजबल और येवला के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। भुजबल के निर्वाचन क्षेत्र में आकर शरद पवार क्या शंखनाद करते हैं, अब इसी पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। शरद पवार के दौरे से येवला के समर्थकों को मिली संजीवनी से जिले में पार्टी की स्थिति पर कितना असर पड़ेगा, यह तो शरद पवार की सभा के बाद ही पता चलेगा। शरद पवार की सभा के बाद अजित की भी येवला में सभा हुई तो यह माना जाएगा कि येवला में पवार अपनी ताकत दिखाने में सफल रहे हैं, अन्यथा यही माना जाएगा कि येवला में भुजबल की ताकत कम नहीं हुई है।