Shivsena responsible for privatizing departments in Manpa BJP leader attacked

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    नाशिक : नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Election) में नए सिसे से निकाले गए आरक्षण लाटरी ड्रा (Reservation Lottery Draw) के कारण चित्र बहुत बदल गया है। ओबीसी (OBC) और सर्वसाधारण महिला प्रवर्ग (General Female Category) के आरक्षण के सभी समीकरण बदल गए हैं। इस आरक्षण के कारण के अनेक दिग्गजों की नींद उड़ गई है। राहत बहुत कम लोगों को जबकि ज्यादातर को इस आरक्षण के कारण बहुत मायूस होना पड़ा है। बदलते हालात में बहुतों ने सुरक्षित प्रभाग खोजना शुरू कर दिया है। आरक्षण ड्रा के कारण कहीं खुशी तो कहीं गम की स्थिति स्पष्ट तौर पर देखी जा रही है।  

    मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में दिवे बंधुओं को करारा झटका है, जबकि वार्ड 27 में अनुसूचित जनजाति को छोड़कर दोनों सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, वहीं वार्ड 22 राहुल दिवे और प्रशांत दिवे को नए में छोड़ना पड़ेगा। बीजेपी के पूर्व सदन के नेता सतीश सोनवणे को वार्ड 39 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के कारण नया वार्ड खोजना पड़ेगा। वार्ड 44 में शिवसेना के मौजूदा पार्षद सुदाम डेमसे के पास कोई वार्ड नहीं रह गया है, जबकि बीजेपी के भगवान दोंदे को परिवार की महिला सदस्यों को मैदान में उतारना होगा। वार्ड नौ में दो महिलाएं और एक सामान्य वर्ग खाली होने के कारण पूर्व विपक्षी नेता अजय बोरस्ते के साथ चुनाव लड़ने वालों को अपना परंपरागत क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा। वार्ड 16 में पहले बीजेपी में रस्साकशी होती थी, लेकिन अब बीजेपी के खेमे में दो पुरुष और एक महिला के आरक्षण से आनंद की लहर दौड़ पड़ी है। 

    कई दिग्गज एक दूसरे के खिलाफ खड़े होंगे

    सदन के पूर्व नेता कमलेश बोडके को भी वार्ड सात छोड़कर कोई नया वार्ड तलाशना पड़ेगा। उद्धव निमसे, भिकुबाई बागुल, गणेश गीते, अरुण पवार, रंजना भांसी समेत बीजेपी के कई दिग्गज इस क्षेत्र में आरक्षण की वजह से सुरक्षित हो गए हैं। नाशिक रोड क्षेत्र में शिवसेना के विशाल संगमनेरे को वार्ड 23 में दोनों महिलाओं के आरक्षण के कारण दूसरा वार्ड खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा है। शिवसेना के लिए संघर्ष बढ़ा-सिडको संभाग के वार्ड 37 में शिवसेना प्रत्याशी रत्नमाला राणे और अनीता भामरे के बीच टिकट को लेकर रस्साकशी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, इसके अलावा अन्य नगरसेवकों के लिए सेफ जोन बनाया गया है, विपरीत सामान्य बंटवारे के चलते शिवसेना के दीपक दातीर, डी. जी. सूर्यवंशी, बीजेपी के मुकेश शहाणे, निलेश ठाकरे के बीच दावेदारी सिमट कर रह गई है। सुधाकर बडगुजर और हर्ष बडगुजर, किरण गामणे, प्रवीण तिदमे, राजेंद्र महाले, सुवर्णा मटाले सेफ जोन में हैं। मनसे के सलीम शेख को या तो पंद्रह या चौदह में दिलचस्पी थी, लेकिन दोनों जगहों पर आरक्षण के कारण शेख असमंजस में है। एनसीपी नगर अध्यक्ष रंजन ठाकरे को आरक्षण के चलते वार्ड 15 में जाना होगा। महाविकास आघाड़ी की परीक्षा-मध्य नाशिक में ओबीसी आरक्षण से महाविकास आघाड़ी को गहरा धक्का लगा है, कई दिग्गज एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होंगे। वार्ड नंबर 18, 19 और 20 में आरक्षण ने यहां का फॉर्मूला बदल दिया है। वार्ड 18 में दो महिलाएं और एक सामान्य आरक्षण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्षद सूफी जीन के लिए मुश्किल का सबब बनेगा। पूर्व महापौर विनायक पांडेय, अधिवक्ता यतिन वाघ, गजानन शेलार, राजेंद्र बागुल के आमने-सामने होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वार्ड 19 में महिलाओं के लिए दो और खुली श्रेणी के लिए एक सीट कांग्रेस गुट के नेता शाहू खैरे के लिए आरक्षित की गई है। 

    पुरुष उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ी-नाशिक महानगरपालिका के 44 वार्डों में से वार्ड क्रमांक 7, 14, 15, 20, 23, 27, 35, 39 और 44 में नौ वार्ड अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग के नागरिक और कुछ स्थानों पर अनुसूचित जाति की महिला अनुसूचित जनजाति की महिलाएं, पिछड़े वर्ग के नागरिक और महिलाएं और सामान्य महिला आरक्षण के कारण, सामान्य पुरुष उम्मीदवार इन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ा है। इनकी बढ़ी दुविधा- राहुल दिवे, प्रशांत दिवे, सतीश सोनावणे, सलीम शेख, रंजन ठाकरे, अनिल तजनपुरे, कमलेश बोडके, सुदाम डेमसे, भगवान डोंडे, विशाल संगमनेरे की दुविधा बढ़ गई हैं, इन्हें या तो चुनाव मैदान छोड़ना होगा या फिर किसी सुरक्षित क्षेत्र की तलाश करनी होगी। जिन्हें नहीं है कोई भय-अजय बोरस्ते, सुधाकर बडगुजर, हर्ष बडगुजर, दिनकर पाटिल, विलास शिंदे, उद्धव निमसे, गणेश गीते, रंजना भांसी, डी. जी. सूर्यवंशी, मुकेश शहाणे, राजेंद्र महाले, प्रथमेश गीते, अरुण पवार, उद्धव निमसे, शाहू खैरे, हेमलता पाटिल।