In the lockdown, the Department of Posts delivered six tons of medicines from one place to another.
Representational Pic

    Loading

    नासिक : खाद्य और औषधि प्रशासन के आयुक्त अभिमन्यु काले ने हाल ही में बताया कि अस्पताल (Hospital) किसी को दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। शहर के कुछ अस्पतालों ने चतुराई बरती है और मरीजों (Patients) को जो दवाइयां (Medicines) दी जाती हैं, वे अन्य मेडिकल में उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें अस्पताल से संबद्ध मेडिकल स्टोर (Medical Store) से ही दवा खरीदनी पड़ रही है। एफडीए (FDA) ने आदेश दिया है कि अस्पतालों से संबद्ध चिकित्सा संस्थानों से दवाएं खरीदने की बाध्यता नहीं है। 

    आदेश में यह भी कहा गया है कि अस्पताल के बाहरी हिस्से में बोर्ड लगाया जाए। उम्मीद है कि इससे मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिलेगी। दवा कंपनियों के सहयोग से बहुत सी दवाएं अन्य मेडिकल स्टोर में उपलब्ध नहीं रहती हैं, इसलिए ग्राहकों को अस्पताल से संबद्ध मेडिकल से ही दवाएं खरीदनी पड़ती है, इससे उपभोक्ता ऊंची कीमतों पर दवाएं खरीदने से कतरा रहे हैं। अस्पताल के संबंध मेडिकल स्टोर में दवा की कीमत बाहर को दूसरे मेडिकल की दवाओं की तुलना में बहुत महंगी मिलती है। 

    एफडीए के आदेश केवल कागजों तक ही सीमित

    कई अस्पताल संचालक बाजार भाव से अधिक कीमत पर दवाइयां बेचते हैं, इसमें कोई छूट नहीं दी जाती है, यही दवाएं थोक दुकानों से खरीदने पर कम दाम में मिल जाती हैं, इससे ग्राहकों को फायदा होता है। हालांकि शहर के कुछ अस्पतालों ने इस बात का ध्यान रखा है कि निर्धारित दवाएं कहीं उपलब्ध नहीं होंगी, इसलिए मरीजों के परिजनों का कहना है कि एफडीए का यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है। 

    एफडीए करे जांच

    एफडीए ने सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अपने अग्रभाग पर साइनेज लगाएं। हालांकि, कुछ अस्पताल प्रशासन अभी-भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नागरिकों ने की मांग है कि खाद्य और औषधि प्रशासन ऐसे अस्पतालों पर पैनी नजर रखने के लिए इन अस्पतालों का निरीक्षण करें।