येवला. बिजली वितरण कंपनी ने राज्य सरकार के इशारे पर कृषि पंपों (Agricultural Pumps) की बिजली आपूर्ति (Power supply) में कटौती करने का अभियान चलाया है। किसानों सहित विभिन्न संगठनों ने इसका विरोध किया है। येवला तहसील (Yewla Tehsil) प्रहार एसोसिएशन द्वारा उपविभागीय अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा गया है। महावितरण कंपनी के अधिकारी ने कहा कि सरकार बिजली कंपनी को सब्सिडी के रूप में 16 घंटे बिजली के बिल का भुगतान कर रही थी और किसानों को सीधे बिजली की आपूर्ति 8 घंटे बहुत कम दबाव में की जा रही थी।
2016-17 में आईआईटी पवई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि बिजली वितरण कंपनी ने अनुदानों में 44,000 रुपए से अधिक की लूट की। जबकि सरकार चक्रवात और कोरोना जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की मदद कर रही है। बिजली कंपनी ने सुल्तानी वसूली अभियान चला रखा है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन वह किसानों के हित में नहीं होती, ऐसा माना जा रहा है। जब चांदवड तहसील में बिजली सप्लाई केंद्र में प्रहार के जिला उपाध्यक्ष गणेश निंबालकर सहित किसानों ने संबंधित अधिकारियों से पूछा कि कोई पूर्व सूचना दिए बिना बिजली क्यों काट दी गई है तो उन्होंने टालमटोल जवाब दिया।
इनकी रही उपस्थिति
इस अवसर पर स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के श्रवण देवरे, नवनाथ लाभाड़े, प्रहार के बापूसाहेब शेलार, रामभाऊ नाईकवाडे, सुनील पचपुते, गोरख निर्मल, बालासाहेब बोराडे, जनार्दन गोडसे, धनंजय खारोट और अन्य किसान उपस्थित थे।