निफाड़ पंचायत समिति का अजीबो गरीब कामकाज

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    निफाड़ : निफाड़ पंचायत समिति (Niphad Panchayat Samiti) का तहसील में अजीबो गरीब (Odd Poor) कामकाज (Work) शुरू है। क्योंकि एक ओर स्कूल (School) की इमारत है, लेकिन वहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक (Teacher) नहीं है। दूसरी ओर शिक्षक है तो स्कूल की इमारत नहीं है। इस मुद्दे को लेकर तहसील के सारोले थडी, सुंदरपूर और कुंभारी गांव के नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, सरपंच, उप सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य और विद्यार्थी निफाड़ पंचायत समिति के कार्यालय पहुंचे। इसके बाद बच्चों को सही तरह से शिक्षा देने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। 

    स्कूल है तो शिक्षक नहीं, शिक्षक है तो स्कूल नहीं

    इस समय निफाड़ पंचायत समिति के पूर्व सभापति शिवा पाटिल-सुरासे, कुंभारी गांव के सरपंच राजेंद्र जाधव, सुंदरपुर के सरपंच राजेंद्र सोमवंशी, धनंजय घंगाले, एकनाथ घंगाले, दीपक जाधव, भूषण देवरे, मंगेश जाधव सहित नागरिक मौजूद थे। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए निफाड़ पंचायत समिति के पूर्व सभापति शिवा पाटिल-सुरासे ने कहा, आधुनिक खेती करने वाले निफाड़ तहसील में प्राथमिक स्कूल के लिए शिक्षक ही नहीं है। जहां पर शिक्षा की नींव रखी गई, वहां पर ही शिक्षक नहीं होंगे तो जिला और राज्य के अतिदुर्गम क्षेत्र की क्या स्थिति होगी? यह कहना मुश्किल है। सरकार कहती है, निजी स्कूल के बजाए अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश लेकर नि:शुल्क शिक्षा ले। परंतु रोटी, कपडा और मकान इन तीन जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा ग्रहण करना जरूरी है। यह बात लगभग सभी के ध्यान में आ गई है। इसलिए नागरिक अपने बच्चों को स्कूल में भेज रहे है। परंतु निफाड़ पंचायत समिति की ओर से शिक्षा को लेकर अजीबो गरिब कामकाज हो रहा है। क्योंकि स्कूल है तो शिक्षक नहीं, शिक्षक है तो स्कूल की इमारत नहीं, ऐसी स्थिति है। कुंभारी प्राथमिक स्कूल में 90 छात्र होने के बाद भी दो ही शिक्षक है। इसमें से एक मुख्याध्यापक है।

    9 शिक्षकों की जरूरत है

    फिलहाल एक ही शिक्षक कक्षा पहली, दुसरी, तिसरी और चौथी के 90 छात्रों को अकेले पढ़ाने का प्रयास कर रहा है। कुछ हद तक मुख्याध्यापक भी मदद कर रहे है, लेकिन उन्हें उनका भी काम होता है। कुलमिलाकर छात्रों को सही तरह से नहीं पढ़ाया जा रहा है। इस ओर पूर्व जिला परिषद की सदस्या मंदाकिनी बनकर और विधायक दिलीप बनकर ने कभी भी ध्यान नहीं दिया। सारोले थडी स्कूल में 302 विद्यार्थी है। यहां पर 9 शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन यहां पर 5 ही शिक्षक कार्यरत है। नागरिकों द्वारा किए गए प्रयास के बाद एचएएल ने सीएसआर फंड से स्कूल के लिए इमारत बनाकर दी, जिसमें नागरिकों ने भी आर्थिक मदद की। इस समस्या की ओर देवगाव गट की पूर्व जिला परिषद सदस्या अमृता पवार ने ध्यान देने की जरूरत है। सुंदरपूर स्कूल में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। तहसील के कई स्कूलों में ‘विना शिक्षक’ कार्यक्रम शुरू है। छात्रों की समस्या हल करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार, विधायक दिलीप बनकर, बालासाहब क्षीरसागर सहित अन्य नेताओं ने ध्यान देने की जरूरत है।