अपेक्षित भाव न मिलने से किसानों के निकले आंसू

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    लासलगांव : फरवरी महीने में 2,500 रुपए प्रति क्विंटल (Quintal) मिल रहा प्याज (Onion) वर्तमान में 1 रुपए से भी कम भाव में मिल रहा है। प्याज से मुनाफा तो छोड़ो ढुलाई (Transportation) का भी खर्चा नहीं निकल पाने से किसानों (Farmers) की आंखों (Eyes) में आंसू (Tears) आ गए। लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति को प्रतिदिन 1000 से 1200 वाहनों से प्याज मिलता है।  वर्तमान में मंडी समिति में ग्रीष्म प्याज बड़ी मात्रा में आ रहा है। प्याज की फसल भले ही नगदी है, लेकिन यह जुए की तरह हो गई है। चूंकि प्याज उत्पादन की लागत का आधा ही पैदा करता है, इसलिए यह किसानों की आंखों में आंसू ला देता है। उत्पादन लागत आसमान छू गई है। दस वर्ष पहले प्याज की औसत कीमत 20,000 रुपये प्रति एकड़ थी, लेकिन आज यह बढ़कर 70,000 रुपये हो गई है। रासायनिक खाद (Chemical Fertilizers) और कीटनाशकों (Pesticides) के दाम आसमान छू रहे हैं। 

    प्याज की औसत कीमत एक हजार रुपये के भीतर आ गई है। रोपण लागत और बिक्री लागत में कटौती करने के बाद, किसानों को कुछ भी नहीं मिल रहा है। प्याज के दाम नहीं मिलने से किसान संघ सब्सिडी की मांग कर रहा है। एक तरफ तो हो-हल्ला होता है, कि प्याज बड़ा महंगा है, लेकिन जब किसानों को प्याज को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता तो सवाल उठता है, कि आखिर हंगामा क्यों नहीं हो रहा है। कृषि उपज मंडी समिति में ग्रीष्मकालीन प्याज का न्यूनतम मूल्य 400 रुपये, अधिकतम मूल्य 1451 रुपये और औसत मूल्य 970 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 

    प्याज की दर गिरने के कारण किसानों की आंखों से पानी निकल रहे हैं। प्याज की पैदावार, भंडारण और विक्री व्यवस्थापन में किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महंगी खाद, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते भाव,  बिजली कटौती से किसानों का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। : सुनील गवली (किसान)