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नासिक : मकान (House) के पैसे नियमित देने के बाद भी समय पर कब्जा न देना, खरीदी व्यवहार के तहत सुविधाओं की पूर्तता न करना, पैसे लेकर धोखाधड़ी (Fraud) करना, विभिन्न कारण बताकर टालमटोल करना ऐसा बर्ताव शहर सहित जिले के बिल्डर (Builder) नागरिकों (Citizens) से कर रहे है। 2022 में न्या. मिलिंद सोनवणे के कार्यकाल में धोखाधड़ी पीड़ित 151 उपभोक्ताओं ने जिला ग्राहक न्यायालय (Consumer Court) से गुहार लगाई। ग्राहक न्यायालय ने 113 बिल्डरों को दंड (Penalty) की सजा सुनाई। इसके बाद बिल्डरों ने उपभोक्ताओं को सुविधा सहित अन्य मांगे पूरी की। नासिक जिला अधिकारी कार्यालय के परिसर में जिला ग्राहक न्यायालय है, जिसमें 2022 में 1 हजार 111 शिकायत दर्ज हुई। इसमें वैयक्तिक बीमा, दुर्घटना बीमा, उद्योग बीमा, आरोग्य बीमा, फसल बीमा, कार्य दुर्धटना बीमा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बीमा, पशुओं का बीमा, मकान खरीदी करते समय बिल्डरों से धोखाधड़ी, वैद्यकीय उपचार के दौरान लापरवाही, रेल, हवाई सेवा, डाक सेवा, पतपेढी, सहकारी संस्था, बचत गट, बैंक के विभिन्न व्यवहार, बिजली आपूर्ति और बिजली बिल आदि शामिल है। बिल्डरों द्वारा धोखाधड़ी की 151 शिकायत शामिल है। सुनवाई के बाद ग्राहक न्यायालय ने 113 बिल्डरों को दंड की सजा सुनाई। इसके बाद बिल्डरों ने उपभोक्ताओं को सुविधा सहित अन्य मांगे पूरी की। 

क्या है ग्राहक न्यायालय?

उपभोक्ता और दुकानदारों के बीच होने वाले विवाद का निपटारा करने के लिए ग्राहक शिकायत निपटारा आयोग का जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर गठन किया गया है। जिला ग्राहक न्यायालय के लिए एक अध्यक्ष और दो सदस्य नियुक्त किए गए है। ग्राहक न्यायालय में 50 लाख रुपए तक वस्तू या सेवा मोबदला अदा किए गए मामले में धोखाधड़ी होने पर शिकायत दर्ज की जाती है। 2019 के नए कानून के अनुसार अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील इन ऑनलाइन मार्केट प्लेस होने वाले ई-कॉमर्स कंपनीयों पर भी जिम्मेदार निश्चित की गई है। 

ऐसे कर सकते है शिकायत

उपभोक्ता प्रत्यक्ष ग्राहक न्यायालय या ई पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते है। सुनवाई के लिए उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष हाजिर होना पड़ता है। 5 लाख रुपए के मोबदला के लिए शुल्क नहीं लिया जाता। 5 से 10 लाख रुपए के लिए 200 रुपए, 10 से 20 लाख रुपए के लिए 400 रुपए, 20 से 50 लाख के लिए 1 हजार रुपए शुल्क लिया जाता है। प्रकरण दर्ज करने के बाद समझौता के लिए 21 दिनों का समय दिया जाता है। इसके बाद अपने आपस प्रकरण दाखिल किया जाता है। इसे बाद विरोधी पार्टी को डाक और ईमेल द्वारा नोटिस जारी की जाती है। 45 दिनों के अंदर विरोधी पार्टी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। दोनों की बात सुनने के बाद 90 दिनों के बाद निकाल घोषित किया जाता है। 

अपील और आदेश रद्द का अधिकार

जिला न्यायालय ने पारित किए गए आदेश के खिलाफ 45 दिनों में राज्य ग्राहक न्यायालय, राज्य ग्राहक न्यायालय के आदेश के खिलाफ 30 दिनों में राष्ट्रीय ग्राहक न्यायालय और राष्ट्रीय ग्राहक न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जाती है। जिला ग्राहक न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर 1 महीने से 3 वर्ष तक कारावास और 25 हजार से 1 लाख रुपए का दंड हो सकता है। 

ग्राहक न्यायालय में 6 महीने में शिकायत का निपटारा किया जाता है। ग्राहक कानून के बारे में जनजागृति होने से हर साल 1 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज हो रही है। न्यायालय के माध्यम से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर, बीमा कंपनीयों से उपभोक्ताओं को करोड़ रुपए वापस दिलाई गई है।

- सचिन शिंपी, सदस्य, ग्राहक न्यायालय, नासिक