Nashik Municipal Corporation suffered a setback of 150 crores in the first quarter, the councilors may have to face problems

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    नाशिक : महा विकास आघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Government) द्वारा घोषित किए गए त्रिसदस्यीय प्रभाग रचना (Tri-Member Division Composition) का निर्णय शिंदे सरकार (Shinde Government) ने रद्द करते हुए नए सीरे से चार सदस्यीय प्रभाग रचना करने का निर्णय घोषित किया। इसके चलते इंदिरानगर और पाथर्डी परिसर के पुरुष विद्यमान नगरसेवकों (Corporators) सहित इच्छुक उम्मीदवारों के चेहरे खिल गए है। महा विकास आघाड़ी के कार्यकाल में प्रभाग क्र. 39 में घोषित किए गए आरक्षण से विद्यमान पुरुष नगरसेवकों को अन्य प्रभाग खोजने की नौबत आई थी। प्रभाग 44 में दो महिला और एक अनुसूचित जमाती (पुरुष) जगह आरक्षित हो गई। इसमें भी ओबीसी आरक्षण के बाद महिला आरक्षण से इच्छुक उम्मीदवार होने वाले पुरुषों का खेल खत्म हो गया था।  इसके बाद कुछ उम्मीदवारों ने अपनी पत्नी को यहां से खड़ा करने की तैयारी शुरू कर दी। 

    अब महानगरपालिका में 133 के बजाए 122 सदस्यों की संख्या होने से नए सिरे से मतदाता सूची और आरक्षण घोषित होने से प्रभाग का समीकरण बदलने वाला है, जिसका लाभ विद्यमान नगरसेवकों के साथ अन्य इच्छुकों को होगा।तो कुछ इच्छुकों को इसका नुकसान भी होगा। इंदिरा नगर के पिछले प्रभाग क्र. 30 और पाथर्डी परिसर के 31 प्रभाग में 4 नगरसेवक थे। प्रभाग 30 में बीजेपी के 4 तो पाथर्डी परिसर से शिवसेना के 2 और बीजेपी के 2 नगरसेवक थे।

    निर्दलीयों की संख्या बढ़ने वाली है

    पिछले 6 महीने से राजनीति में हो रही घटनाओं की तुलना करें तो पुरुष इच्छुकों की कुछ जगह महिला इच्छुकों को मिली थी। कुछ विद्यमान नगरसेवकों को प्रभाग से बाहर जाना पड़ा। तो कुछ इच्छुकों पर अन्य प्रभाग खोजने की नौबत आई। कुछ इच्छुकों ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी की।  पिछले 4 सदस्य के परिसर की स्थिति जैसे थे रही तो बीजेपी, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मनसे आदि राजनीतिक दल के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने जीत के लिए संघर्ष करेंगे। फिलहाल शिवसेना को लेकर निर्णय न होने से आगामी चुनाव में शिवसेना के दो गुट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जो एक-दूसरे को पराजित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। 4 सदस्य होने वाले प्रभाग में बीजेपी और शिवसेना में इच्छुकों की संख्या अधिक होने से टिकट न मिलने पर निर्दलीयों की संख्या बढ़ने वाली है। चुनकर आने वाले निर्दलीय नगरसेवकों की संख्या कम होगी?। परंतु, स्थिति के तहत वह अपना गट बना सकते है। गद्दारी होने के बाद भी 4 सदस्यीय प्रभाग में वह जीत नहीं पाएंगे। यह पिछले चुनाव में स्पष्ट हो गया है। इसलिए पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए हर एक इच्छुक को संघर्ष करना होगा। 

    पिछले नगरसेवकों के बारे में सोचे तो दो से ढाई वर्ष कोरोना महामारी के चलते वह कामकाज नहीं कर पाए। प्रभाग में हुए विकास कार्य के आधार पर पार्टी टिकट देती है या फिर नए चेहरों को मौका देगी? यह तो समय पर ही निश्चित होगा। नए सिरे से घोषित होने वाले आरक्षण के अनुसार और प्रभाग रचना के तहत जैसे थे स्थिति रहने पर पिछले प्रभाग क्र. 30 और 31 में महिला, अनुसूचित जाति, ओबीसी आरक्षण घोषित होने पर एक बार फिर इच्छुक निराश होने वाले है। प्रभाग 44 में होने वाला अनुसूचित जमाति का आरक्षण कायम रहेगा या फिर कटेगा? इस बारे में चर्चा शुरू हो गई है।