
त्र्यंबकेश्वर : त्र्यंबकेश्वर-डहाणु रेल मार्ग (Trimbakeshwar-Dahanu Rail Route) को लेकर इस वर्ष के केंद्रीय बजट (Union Budget) में कोई विचार नहीं किया गया। त्र्यंबकेश्वर से डहाणु मार्ग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों के लोगों को पूरा भरोसा था कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) द्वारा संसद में पेश किए गए वार्षिक बजट में इस मार्ग के लिए अच्छी धनराशि की घोषणा की जाएगी, लेकिन वित्त मंत्री ने यहां के लोगों को निराशा किया।
2023 के केंद्रीय बजट में त्र्यंबकेश्वर-डहाणु रेल मार्ग के बारे में फिर कोई विचार नहीं किया गया। रेल्वे मंत्रालय और केंद्र सरकार की ओर से इस मार्ग के प्रति दिखायी गई उदासीनता के कारण इस क्षेत्र की जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस मार्ग के शीघ्र बनने और यहां के गाड़ियों का आवागमन शुरु होने के प्रति न तो यहां के सांसद सक्रियता दिखा रहे हैं और न ही इस क्षेत्र के विधायक और मंत्री कोई दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
रेल मार्ग के लिए सर्वे बहुत पहले ही किया जा चुका था
केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों की ओर से इस रेल मार्ग के प्रति कोई रुचि दिखाई जा रही है। पिछले पांच दशकों से त्र्यंबकेश्वर- डहाणु मार्ग की मांग की जा रही है, लेकिन जनता की इस मार्ग को रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार की ओर से लगातार नजरअंदाज ही किया जाता रहा है। केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से इस मार्ग को लेकर की जा रही उपेक्षा से लोगों की नाराजगी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। त्र्यंबकेश्वर- डहाणु रेल मार्ग के लिए तो सर्वे बहुत पहले ही किया जा चुका है। सर्वे के बाद इस रेलमार्ग का नक्शा बनाया गया। लेकिन यह नक्शा मूर्त रूप में सामने नहीं आ पाया।
इस रेल मार्ग से रेल विभाग की राजस्व राशि में भारी वृद्धि होगी
अखाड़ा परिषद के महासचिव हरिगिरीजी महाराज ने मांग की है कि कुंभ मेले को त्र्यंबकेश्वर रेल मार्ग से जोड़ा जाए। त्रयंबकेश्वर-डहाणु आदिवासी क्षेत्र को विकास के लिए रखने में रेल विभाग के लिए वरदान साबित होता। अगर त्र्यंबकेश्वर से डहाणु तक रेल सेवा शुरु की गई तो यह रेल विभाग के लिए बहुत बड़ी सौगात होगी। त्र्यंबकेश्वर और डहाणु दोनों ही क्षेत्रों के व्यापारियों का कहना है कि अगर यह रेल मार्ग शुरु किया गया तो इससे रेल विभाग की राजस्व राशि में भारी वृद्धि होगी।
नाराज लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का संकेत दिया
यह क्षेत्र सुंदर गोंडा घाट के कारण प्रसिद्ध है। इस मार्ग से शिवाजी महाराज के घोड़े दौड़ते थे। इर मार्ग को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से बरती जा रही उदासीनता के कारण यह मार्ग पिछले 50 वर्ष में आकार नहीं ले सका। कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र के नाराज लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का संकेत दिया है। त्र्यंबकेश्वर के साधु-संतों, महंतों, व्यापारियों की ओर से मांग की जा रही है कि त्र्यंबकेश्वर-डहाणु रेलवे सेवा जल्दी से जल्दी शुरू किया जाए।