Nashik Municipal Corporation suffered a setback of 150 crores in the first quarter, the councilors may have to face problems

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    नाशिक. मुकणे बांध (Mukne Dam) से पाथर्डी फाटा (Pathardi Phata) तक सीधे पाइप लाइन बिछाने के कामकाज में अनुबंध के तहत बचत हुए 31 करोड़ की अधिक रकम पर महानगरपालिका (Municipal Corporation) ने तीसरी बार अनुचित की मुहर लगाई। अनुबंध के तहत निश्चित बिल (Fixed Bill) अदा करने के बाद संबंधित ठेकेदार को कुछ भी रकम न देने की भूमिका महानगरपालिका अधिकारियों (Municipal Officials) ने लेने से पदाधिकारियों को बड़ा झटका लगा।

    महानगरपालिका अधिकारियों ने पदाधिकारियों के दबाव को ठुकराते हुए लेखी रिपोर्ट सरकार को दी।  शहर की वर्ष 2041 तक बढ़ने वाली आबादी को ध्यान में रखते हुए जवाहरलाल नेहरू नागरी पुनरुत्थान योजना के अंतर्गत मुकणे बांध से 18 किलो मीटर लंबी पाइप लाइन बिठाने की योजना महानगरपालिका ने कार्यान्वित की। 

    एमजीपी के मूल्यांकन के तहत यह काम 266 करोड़ रुपए में अंतिम करते हुए संबंधित ठेकेदार कंपनी के साथ अनुबंधक किया।  सिमेंट, इंधन सहित स्टील के चालू दर के तहत संबंधित ठेकेदार को बिल अदा करने का अनुबंध किया गया था।  परंतु कामकाज शुरू था तब सिमेंट, इंधन और स्टील के दर कम हो गए।  इसके चलते 13 चरणों में बिल अदा करते समय बिल से 31 करोड़ बाजार दाम के तहत नहीं दी गई।  इसके बाद कंपनी ने अनुबंध गलत होने का आरोप करते हुए 31 करोड़ रुपए मिलने के लिए प्रयास शुरू किए।

    पैसे लेने का प्रयास 

    सांसद हेमंत गोड़से ने 8 नवंबर 2019 में केद्रीय मंत्री गृहनिर्माण और नगरविकास विभाग के पास किए पत्र व्यवहार करने की बात कर कंपनी ने महानगरपालिका के कुछ पदाधिकारियों के साथ आर्थिक सांठ-गांठ करते हुए पैसे लेने का प्रयास किया। महानगरपालिका ने इसके पहले दो बार रकम देने से मना कर दिया। इसके बाद स्थायी समिति ने प्रस्ताव तैयार करते हुए सरकार के पास से मार्गदर्शन मांगा। सरकार ने महानगरपालिका के पास से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी।  महानगरपालिका ने भी अनुबंध का हवाला देते हुए रिपोर्ट भेजकर पैसे देने से मना कर दिया।  

    टला महानगरपालिका का आर्थिक नुकसान 

    संबंधित कंपनी को 31 करोड़ रुपए दिलाने के लिए महानगरपालिका के कुछ पदाधिकारियों ने दबाव बनाया, लेकिन महानगरपालिका अधिकारियों ने पदाधिकारियों के दबाव को ठुकराते हुए सरकार को अनुबंध के तहत रिपोर्ट भेजी।  पूर्व महानगरपालिका आयुक्त अभिषेक कृष्णा, तुकाराम मुंढे, राधाकृष्ण गमे आदि ने कपंनी का प्रस्ताव ठुकराया।  विद्यमान आयुक्त कैलास जाधव ने भी ऐसी ही भूमिका निभाई जिससे महानगरपालिका का आर्थिक नुकसान टला।