नासिक : गोदावरी नदी (Godavari River) और उप नदी नासिक जिले के लिए वरदान है। परंतु पिछले कुछ सालों से गोदावरी नदी का प्रदूषण (Pollution) स्तर इतना बढ़ गया है कि नदीतट पर खड़ा रहना भी खतरनाक साबित हो रहा है। इतना ही नहीं दुर्गंध गोदावरी नदी के पानी से आ रहा है। गोदावरी नदी का प्रदूषण दृश्य स्वरूप में दिखाई दे रहा है। फिर भी प्रदूषण नियंत्रण महामंडल (Pollution Control Corporation) और नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के अनुसार गोदावरी नदी का पानी पीने योग्य होने की बात की गई है। गोदावरी नदी का पानी पीने योग्य होगा तो महानगरपालिका और प्रदूषण नियंत्रण महामंडल प्रशासनिक अधिकारियों ने यह पानी सब के सामने सेवन करने की अपील पर्यावरण प्रेमियों ने की।
बता दें कि पानी में शामिल पी. एच. (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन) मूल्य औसत 7.5 होने की बात सामने आई है। पानी में शामिल पी. एच. मूल्य किमान 6.5 से 8.5 के बीच होने पर वह पानी पीने योग्य होता है। इसलिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल और नासिक महानगरपालिका के अनुसार गोदावरी नदी और उसकी उपनदियों का पानी पीने के लिए योग्य होने की बात की गई है। यह पानी सही मायने में पीने योग्य होगा तो दोनों प्रशासन के अधिकारियों ने यह पानी सेवन कर दिखाने की अपील पर्यावरण प्रेमियों ने की।
प्रवाहित पानी में ‘बीओडी’का प्रमाण कम
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर नए निकष के तहत 10 से अंदर होना आवश्यक है। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण महामंडल ने एक साल भर की गई जांच में यह स्तर 10 से अंदर होने की बात सामने आई। परंतु महामंडल की ओर से नियमित प्रवाहित पानी की जांच की गई है। नदी केवल 5 से 6 महीने तक प्रवाहित होती है। शेष समय में वह डबके में तब्दील हो जाती है। उस पानी के बीओडी का स्तर अधिक होता है। निजी संस्था या महानगरपालिका ने किए गए पानी की जांच को देखते हुए नदी पात्र में बीओडी का स्तर 20 से अधिक सामने आया है। समुद्र, नदी, तालाब आदि पानी भंडारण में ऑक्सीजन का स्तर सही मात्रा में होना जरूरी है। क्योंकि उस पर ही जलचर प्रानी, वनस्पती, हरित शैवाल का जीवन निर्भर होता है। पर्यावरण की अन्न श्रृंखला में इन सभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह प्रमाण एक लिटर के पीछे 1 से 2 मिली ग्राम होने पर पानी शुद्ध होता है। 3 से 5 मिली ग्राम होने पर समाधानकारक और 6 से 9 मिली ग्रामग्रॅम होने पर उसमें प्रदूषण करने वाले सेंद्रिय घटक होते है। ऐसा माना जाता है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल और महानगरपालिका की जांच के आंकड़ों के अनुसार गोदावरी और उप नदी का बीओडी स्तर औसत 3.5 से 4 प्रति मिली ग्राम है। अर्थात पानी का ऑक्सीजन स्तर समाधानकारक है। वस्तुस्थिति ऐसी है कि गोदावरी और उप नदियों में जलसृष्टि का अस्तित्व नहीं है। तो फिर महानगरपालिका और प्रदूषण नियंत्रण महामंडल किस आधार पर यह दावा कर रहा है? किस तरह से पानी की जांच की गई? ऐसे कई अब खड़े हो गए है।
स्नान के लिए भी पानी अयोग्य
टाकली मलजलशुद्धिकरण केंद्र से बाहर निकलने वाले दूषित पानी से गोदावरी नदी के प्राणी प्रदूषित होने की रिपोर्ट सिंहस्थ कुंभ मेला से पहले निरी संस्था ने दी है। यह पानी पीने के साथ स्नान के लिए भी योग्य न होने की बात की है। सिंहस्थ कुंभ मेला के समय नदी को जोड़ने वाले नाले बंद किए गए थे। इसलिए पानी तुलना में शुद्ध रहा। परंतु इसके बाद स्थिति जस की तस हो गई है।
क्या है बीओडी?
बायो-ऑक्सीजन डिझॉल्व्ह्ड (बीओडी) यानी पानी की गुणवत्ता जांच करने का महत्वपूर्ण निकष है। यह बीओडी यानी की पानी में मिलने वाले ऑक्सीजन का प्रमाण होता है, जो प्रति लीटर मिली ग्राम में गिना जाता है। सूक्ष्म जलचर पानी में मिलने वाले ऑक्सीजन का उपयोग करते है। कम मात्रा में बीओडी यानी की पानी में ऑक्सीजन कम होना।