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    – राजेंद्र शेलार

    येवला : प्याज (Onion) एक ऐसी फसल है जिसने  देश  की सत्ता को भी कई बार हिलाया है। प्याज की फसल ने कई बार किसानों की आंखों से पानी भी निकाला है, तो कई बार इसी प्याज ने  किसानों को लखपति भी बनाया है। प्याज का भंडार ऐसी पहचान बनाने वाले नाशिक जिले (Nashik District) में इस बार अच्छी वर्षा होने से जिले में प्याज का बंपर फसल लगाई गई। सभी तरफ अच्छी वर्षा होने की वजह और पिछले दो- तीन वर्ष से प्याज को अच्छा भाव  मिलने से किसानों ने प्याज के ज्यादा उत्पादन पर जोर दिया।  वर्षो से अस्थिर प्याज का भाव  इस वर्ष भी किसानों के लिए लाभदायक साबित होगा।  पिछले दो वर्ष से कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण परेशानी अंगूर माली ने भी प्याज के उत्पादन में ज्यादा रुचि दिखाई है।

    अकेले नाशिक जिले में 1 लाख, 90 हजार, 306 हेक्टर क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन प्याज (Summer Onion) की फसल लगाई गई है। रोगों का संकट- येवला अकाल प्रभावित तहसील कही जाती है, बावजूद इसके भारी पैमाने पर ग्रीष्मकालीन प्याज की फसल लगाई गई है। आमतौर पर फरवरी – मार्च माह में कुएं सूख जाते हैं। तहसील के कुछ क्षेत्रों में पानी की किल्लत महसूस की जाने लगती है, फिर भी  कालवा लाभ क्षेत्र के किसान आधा मार्च समाप्ति की ओर आने के बावजूद इस बार प्याज की फसल नहीं लगाई है। इस वर्ष सभी तरफ अच्छी वर्षा तो अच्छी हुई, लेकिन उसी तुलना में किसानों को फसलों पर रोग लगने के दर्द को भी सहन करना पड़ा है। 

    प्याज रुलाएगा की हंसाएगा ?

    इस वर्ष बदलते मौसम, रोप की कमी, रोपे के सड़ने का प्रमाण ज्यादा होने, बढ़ी हुई मजदूरी,  रासायनिक खाद, कीटनाशक के आसमान छूते भाव जैसी समस्याओं का सामना करके किसानों को प्याज की अच्छी फसल लेने में सफलता मिली है। खर्च में भारी वृद्धि होने के कारण भाव मिलने के बाद भी किसान संतुष्ट नहीं हुए, इस वजह से इस वर्ष प्याज हसाएगा या रुलाएगा ऐसा चित्र सामने आ रहा है।