तेंदुए से बचने के लिए महिला ने तापी नदी में छलांग लगाई और 13 घंटे तैर कर बचाई जान

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    जलगांव : खेत में काम करके घर वापस लौट रही महिला के सामने तेंदुआ (Leopard) आ जाने से वह सकपका गई और उसने अपनी जान बचाने के लिए नदी (River) में छलांग लगा दी और 13 घंटे तैरकर (Swimming) सुरक्षित घर लौटी। महिला (Woman) के इस साहस की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है। तेंदुए से जान बचाने के लिए महिला ने जिस नदी में छलांग लगाई उसमें भी बहुत ज्यादा पानी था। एक तरफ तेंदुआ के चपेट में आकर जान जाने का भय था तो दूसरी उफनती तापी नदी, ऐसे में महिला ने भगवान का नाम लेकर नदी में छलांग लगा दी। नदी में छलांग लगाकर महिला तेंदुए का शिकार होने से बच गई लेकिन बाढ़ के उफनती तापी नदी से खुद को सुरक्षित बचाना भी आसान काम नहीं था, क्योंकि जिस जगह पर महिला ने तापी नदी में छलांग लगायी थी, वहां से उसका घर बहुत दूर था, लेकिन इस महिला को भगवान पर पूरा भरोसा था कि उसकी जान बच जाएगी और भगवान का नाम जपते-जपते वह महिला 13 घंटे तक तैरने के बाद अपने घर सुरक्षित पहुंच गई। 

    इस महिला ने 13 घंटे में 60 किलोमीटर का फासला तय किया और नदी के दूसरे छोर पर पहुंच कर स्वयं की जान बचायी। गांव की महिला के साथ घटित यह हादसा किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं लगती। इस पूरे घटनाक्रम में इस महिला ने जिस साहस का परिचय दिया, उसने नारी को दी जाने वाले अबला की संज्ञा को बदल दिया। खेत में काम कर घर लौटते समय महिला ने देखा एक तेंदुआ उसकी ओर बड़ी तेजी से आ रहा है और इस महिला ने पहले तो बड़ी तेज दौड़ लगायी लेकिन जब उसे लगा कि वह तेंदुए की गिरफ्त में आ जाएगी तो उसने बाढ़ के पानी उफनती तापी नदी में छलांग लगा दी और 13 घंटे तैर कर स्वयं की जान बचायी। केले का यह डंडा इस महिला का सहारा बना। जिस महिला ने यह पराक्रम दिखाया है, उनका नाम लता कोली (55) है, जो जलगांव जिले करी चोपडा तहसील के अंतर्गत आने वाले कोलम्बा की रहने वाली है। अपने साहस के बूते पर इस महिला ने सामने खड़ी अपनी मौत को वापस लौटा दिया। 

    एक साल पहले पति का निधन 

    लता कोली दो बेटे हैं, उसकी दो बहू और पोते-पोती हैं, सभी एक साथ ही कोलम्बा गांव में रहते हैं, लता के पति का एक वर्ष पहले निधन हो गया था। लताबाई कोली शुक्रवार 9 सितंबर को अपने खेत में गाय की फली काटने के लिए अकेली गई थी और जब वे अपने खेत से घर वापस लौट रही थी, उसी वक्त उनके साथ यह घटना हुई, जिसका उन्होंने मुकाबला किया और अपनी जान बचाकर वे अपने घर सुरक्षित वापस आ गई। लता कोली की जान जिस तरह से बची है, उसके आधार पर अगर यह कहा जाए कि जाको राखै साईया, मार सके न कोय।