Ramesh Pawar

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    -सुधीर जोशी

    नाशिक: नाशिक महानगरपालिका कमिश्नर रमेश पवार (Nashik Municipal Corporation Commissioner Ramesh Pawar ) को इस बात की जरा सी भी भनक नहीं रही होगी कि गोदावरी नदी (Godavari River) में नाव से जो वे दो दौरा कर रहे हैं, वह उनके लिए नाशिक महानगरपालिका कमिश्नर के रूप में अंतिम दौरा साबित होगा। मुंबई (Mumbai) से नाशिक महानगरपालिका कमिश्नर (Nashik Municipal Corporation, Commissioner) के रूप आए रमेश पवार ने अपने महज 4 माह के कार्यकाल में जितनी सक्रियता दिखायी, उतनी आमतौर पर महानगरपालिका अधिकारियों में देखने को नहीं मिलती। पवार ने अपने 4 माह के शासनकाल में नाशिक शहर का चेहरा-मोहरा बदलने की हर संभव कोशिश की। उनका ध्यान जहां एक ओर गोदावरी नदी को स्वच्छ और सुंदर बनाना था, वहीं दूसरी ओर वे नाशिक की सड़कों को अच्छा बनाने के लिए भी प्रयासरत रहे।

    नाशिक महानगरपालिका कमिश्नर के रूप पवार का काम बहुत अच्छा रहा। हर किसी ने उनकी सक्रियता की प्रशंसा की। पवार ने नाशिक में अशुद्ध जल को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए। पिछले दिनों नाशिक शहर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद गोदावरी में आई बाढ़ का सामना कर रहे लोगों को राहत दिलाने में आयुक्त की भूमिका सराहनीय रही है। नाशिक महानगरपालिका चुनाव की तैयारियों की ओर भी उन्होंने खासा ध्यान दिया था। मतदाता सूची की गड़बड़ियों को सुधार के मुद्दे को भी उन्होंने गंभीरता से लिया था। मनपा के आयुक्त पद पर रहते हुए पवार की सक्रियता का बखान हर किसी के मुंह से होता था। गंगा नदी जैसे ही गोदावरी को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए जैसी तत्परता रमेश पवार ने दिखायी थी, वैसी तत्परता बहुत कम ही देखने को मिलती है।     

    किया था गोदावरी नदी का दौरा

    गोदावरी में गंदा पानी कहां से आता है, यह जानने के लिए जब रमेश पवार नाव पर सवार होकर निकले थे तो शायद ही उन्हें इस बात का अंदाजा रहा होगा कि महानगरपालिका कमिश्नर के रूप में यह उनका अंतिम आधिकारिक दौरा होगा। आयुक्त को इस सफर में 10 ऐसे स्थान मिले, जहां से गोदावरी में गंदा पानी आता है। उसके बाद तत्काल बोट यात्रा की रिपोर्ट तैयार की गई और 10 स्थानों के काम के लिए 10 निविदाएं निकालने का निर्णय लेते हुए इसके लिए 40 करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी कमिश्नर को दी गई। कमिश्नर ने अपनी नाव यात्रा के दौरान नदी में सीवेज के बहाव को रोकने की तत्काल आवश्यकता समझी थी। उन्होंने बताया था कि अगले 6 से 8 महीने में इस गंदे पानी को सीवेज में डायवर्ट कर दिया जाएगा। लोगों के बीच वे अपने अच्छे काम से पहचान बनाने वाले रमेश पवार के अचानक तबादले ने सभी को चौंका दिया है। लोगों का कहना है कि राज्य में सरकार बदलने के कारण महानगरपालिका कमिश्नर का तबादला हुआ है। कहा जा रहा है कि रमेश पवार का तबादला इसलिए किया गया है, क्योंकि उनकी मातोश्री से निकटता थी। 

    नए कमिश्नर की नीति पर रहेगी नजर

    नमामि गोदा परियोजना से गोदावरी का शुद्धिकरण करने का लक्ष्य सामने रखकर महानगरपालिका कमिश्नर ने नाशिक के विकास की सुपरफास्ट एक्सप्रेस चलाई थी, लेकिन अब जबकि रमेश पवार का मुंबई में तबादला कर दिया गया है, ऐसे में अब नए कमिश्नर पवार द्वारा शुरू किए गए अभियान को उसी दिशा से आगे बढ़ाएंगे या फिर वे कुछ अलग नीति अपनाएंगे, यह आने वाले समय में ही तय होगा। 

    नाशिक को सर्वश्रेष्ठ महानगर बनाने का था लक्ष्य

    गोदावरी नदी के प्रदूषण पर बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त समिति की मई माह में हुई बैठक में समिति के अध्यक्ष और डिविजनल कमिश्नर राधाकृष्ण गमे ने महानगरपालिका, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी),  नाशिक जिला परिषद और अन्य अधिकारियों को तत्काल उपाय करने के निर्देश दिए थे, लेकिन बीच में ही तबादला हो जाने के कारण नाशिक को राज्य का सर्वश्रेष्ठ महानगर बनाने का रमेश पवार का सपना पूरा नहीं हो पाया।