Furniture Scam

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    नासिक : आदिवासी विकास विभाग (Tribal Development Department) के विवादित 325 करोड़ रुपए के फर्नीचर घोटाले (Furniture Scam) के बारे में  उच्च न्यायालय (High Court) की ओर से दिए गए जांच के आदेश को भी आदिवासी विभाग ने महत्व नहीं दिया तो मामले को लेकर शिकायतकर्ताओं (Complainants) ने फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। शिकायतकर्ताओं ने इस बारे में न्यायालय के आदेश की अवमानना याचिका दाखिल की है, इस वजह से बहुतों की नींद उड़ गई है।   

    325 करोड़ रुपए के फर्नीचर घोटाले के संदर्भ में दायर याचिका पर उच्च न्यायालय की ओर से पूर्व में  दायर की गई याचिका की सुनवाई की गई और शिकायतकर्ता को एक महीने के अंदर न्याय देने के आदेश दिए गए थे, लेकिन पिछले छह महीने में आदिवासी विभाग की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए परेशान होकर शिकायतकर्ता ने इस बारे में दूसरी बार उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अदालत में इस बारे में अवमान याचिका दायर की, जिस पर 18 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी। 

    तत्कालीन मंत्री सावरा ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस खरीद को रद्द कर दिया था

    राज्य में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार के दौरान जब आदिवासी आश्रम के स्कूलों में फर्नीचर की खरीद के लिए 112 करोड़ रूप्य मंजूर किए गए थे, उस वक्त 325 करोड़ का फर्नीचर खरीदकर घोटाला किया गया। दिलचस्प बात यह है कि राज्य के लेखा निदेशालय ने खरीद प्रक्रिया पर आपत्ति जताई और ठेकेदारों के बिल जारी करने से इनकार कर दिया था। तत्कालीन मंत्री सावरा ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस खरीद को रद्द कर दिया था। इस घोटाले में अनियमितता को लेकर विवाद हाईकोर्ट तक पहुंचा, हालांकि उसके बाद भी खरीद प्रक्रिया को अंजाम देकर बिलों को वापस किया गया। आदिवासी मंत्री एड. के. सी. पाडवी ने 1 फरवरी, 2020 को नासिक में हुए घोटाले की जांच की घोषणा की थी, उसके बाद यह घोषणा का क्या हुआ, कुछ भी पता नहीं चला। उसे मानो ठंडे बस्ते में ही डाल दिया गया। 

    महीने के भीतर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

    शिकायतकर्ताओं ने इस मुद्दे को लेकर फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने खरीद प्रक्रिया में अनियमितता को स्वीकार करते हुए विभाग से पूछताछ की थी और एक महीने के भीतर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। विभाग ने आदिवासी आयुक्त की अध्यक्षता में सात अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की बैठक भी हुई, लेकिन बाद इसकी जांच रिपोर्ट को ही दबा दिया गया, इसलिए, शिकायतकर्ताओं ने फिर से अवमानना याचिका दायर की है। 

    सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच के सामने 18 अक्टूबर को होगी

    आदिवासी विभाग आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच समिति ने जांच कर रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस रिपोर्ट में तत्कालीन सचिव सहित आदिवासी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर सीधे तौर पर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है और उनसे 62 करोड़ की वसूली की बात कही जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि इस रिकवरी से बचने के लिए रिपोर्ट को दबा दिया गया था। अब इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच के सामने 18 अक्टूबर को होगी। बताया जा रहा है कि इस फर्नीचर घोटाले को लेकर दायर की गई न्यायालयीन आदेश के अवमानना याचिका पर होने वाली सुनवाई को लेकर आदिवासी विभाग के अधिकारी दहशत में हैं।