त्र्यंबकेश्वर. देवस्थान लोगों का सहारा होते हैं। परेशान परिस्थिती से हारे लोग देवस्थानों की ओर आते हैं। लेकिन नाशिक जिले (Nashik District) में इसका उल्टा हो रहा है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) ने प्रशासन द्वारा कोरोना सेवा (Corona Service) के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र के किराए के लिए प्रशासन से एक करोड़ रुपये की मांग की है। ऐसे में एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
कोरोना संकट ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसा संकट पहले कभी नहीं आया। इसलिए पूरी दुनिया को लॉकडाउन (Lockdown)कर दिया गया। महाराष्ट्र में भी कई महीनों की तालाबंदी का अनुभव नागरिकों को हुआ। लाखों की जान चली गई। इस दौरान कई लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहल की। कई मंदिरों ने अपनी तिजोरियां खाली कर दीं। लेकिन नाशिक में हालात कुछ अलग ही देखने को मिला। कोरोना काल के दौरान सेवा के लिए प्रशासन द्वारा त्र्यंबकेश्वर देवस्थान स्थल का अधिग्रहण किया गया था।
जिम्मेदारी से अवगत कराया
मंदिर द्वारा इस जगह के किराए के लिए प्रशासन से 99 लाख 63 हजार रुपये की मांग किए जाने से नया विवाद खड़ा हो गया है। इतनी बड़ी राशि की मांग के बाद जिला प्रशासन ने मंदिर को पत्र लिखकर अपनी जिम्मेदारी से अवगत कराया है। जिला प्रशासन ने त्र्यंबक देवस्थान को लिखे पत्र में कहा है कि उसकी संस्था एक जन न्यास के रूप में सेवा उन्मुख संस्थान में पंजीकृत है। इसलिए, ऐसी संस्था को सरकार के मुफ्त इलाज के प्रयासों में सहयोग करने की आवश्यकता होती है। लेकिन ऐसा किए बिना, आपने समझ से बाहर और अघोषित धन की मांग की है।
पदाधिकारियों को पद से हटाया जाए
संस्थान की मांग जायज नहीं है, ऐसे में त्र्यंबक देवस्थान के पदाधिकारियों को आलोकित किया गया है। इसके अलावा, प्रशासन ने संस्थान को विस्तृत दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया है। एक तरफ राज्य में कई धर्मार्थ संगठन, मंदिर कोरोना काल में सरकार की मदद के लिए आगे आए। इतना ही नहीं, गांव और शहर के छोटे-छोटे इलाकों ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाए। ऐसी विकट स्थिति में किराया मांगना बहुत ही अनुचित है। जब त्र्यंबकेश्वर देवस्थान के खजाने में करोड़ों रुपये पड़े हों तो ऐसी दरिद्रता दिखाना उचित नहीं है। इसलिए मंदिर के पूर्व न्यासियों ने मांग की है कि इन पदाधिकारियों को पद से हटाया जाए।