मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के नाशिक (Nashik) में शेंद्रीपाडा (Shendripada) की महिलाओं (Woman) को अब पानी के लिए अपनी जान जोखिम नहीं डालनी पड़ेगी। महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने शुक्रवार को एक नए ब्रिज का उद्घाटन किया। नाशिक के इस आदिवासी गांव में लोग, खासकर महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर बांस के एक अस्थायी पुल का इस्तेमाल किया करती थीं। आदित्य ठाकरे ने इस उद्घाटन के साथ-साथ गांव में जल परियोजना का भी उद्घाटन किया और स्थानीय महिलाओं से चर्चा की।
आदित्य ठाकरे ने इस मौके पर कहा, ‘मैंने सोशल मीडिया पर इस जगह की फोटो देखी और अधिकारियों को समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया। हमने यहां एक पुल बनाया है और अगले 3 महीनों के भीतर हम यहां हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराएंगे। हमारा ध्यान लोगों की समस्याओं का समाधान करने पर है।’
I saw the photo of this place on social media & directed the authorities to solve the problem. We’ve built a bridge here & within the next 3 months, we’ll provide tap water to every household here. Our focus is to solve people’s problems: Maharashtra Minister Aaditya Thackeray pic.twitter.com/qsfg2uFMHQ
— ANI (@ANI) January 28, 2022
बता दें कि, यहां की महिलाओं द्वारा मौत के मुंह से पीने का पानी (Drinking Water) लाने की खबर कई समाचार पत्रों की सुर्खियां बनीं थी जिसके बाद इनकी मदद के लिए खुद आदित्य ठाकरे आगे आए। जिला परिषद प्रशासन (District Council Administration) ने 30 फीट गहरी खाई पर पुल (Bridge) बनवाया। साथ ही नल के जरिए पीने का पानी देने की व्यवस्था भी की गई है।
Maharashtra Minister Aaditya Thackeray today inaugurated a bridge in Shendripada, a remote tribal village in Nashik, where people used a makeshift bamboo bridge risking their lives. He also inaugurated a tap water project in the village and had a discussion with the local women. pic.twitter.com/Id2UCU4eae
— ANI (@ANI) January 28, 2022
गौरतलब है कि खरखेत ग्राम पंचायत परिसर में 12 पाड़ा है। यहां के लगभग सभी परिवार खेती के लिए पाड़ा से डेढ़ किलोमीटर दूर तास नदी के तट पर रहते है। 25 आदिवासी बस्ती में 300 से अधिक परिवार है। यहां की महिलाओं को हर दिन मौत के मुंह से पीने का पानी लाना पड़ता था। ये महिलाएं खाई में बनाई गई लकड़ी के पुल को पार कर पानी लाती थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खबर ये भी है कि, पहले कई ग्रामीण इस खाई में गिर चुके है। सरकार की कई योजनाएं गांव के लिए आती है, लेकिन इन बस्ती तक नहीं पहुंचती है। इससे पहले यहां लड़की के पल से चलकर विद्यार्थी हरसुल, पेठ आदि परिसर में शिक्षा के लिए जाते थे। नदी के नजदीक खेती है, लेकिन बिजली की व्यवस्था न होने से पानी लेने के लिए मोटर का उपयोग नहीं किया जा सकता। बारिश की पानी पर ही खेती की जाती है।