मविप्र संस्था में हुए गलत कामकाज की होगी जांच, गठित की गई समिति

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    नाशिक : पिछले 5 साल के कामकाज में बड़े तौर पर अनियमितता होने से मराठा विद्या प्रसारक समाज संस्था (Maratha Vidya Prasarak Samaj Sanstha) आर्थिक समस्या में फंस गई है। इसलिए चुनाव के प्रचार में परिवर्तन पैनल के सदस्यों द्वारा दिए गए आश्वासन को पूरा करने के लिए मविप्र में पिछले 5 साल में हुए गलत (Wrong) कामकाज की जांच अब शुरू होने वाली है। इसके लिए जांच समिति गठित (Inquiry Committee Constituted) की गई है। पहले चरण में संस्था के माध्यम से एक ही समय शुरू किए गए 100 निर्माण कार्य (Construction Work) की जांच होगी। चुनाव की पार्श्वभूमी पर संस्था में 350 व्यक्तियों की गई नियमबाह्य नोकरी भरती रद्द की जाएगी। यह जानकारी महासचिव नितीन ठाकरे ने दी।

    बता दे कि मविप्र का पंचवार्षिक चुनाव हालही में हुआ। नितीन ठाकरे के नेतृत्व में परिवर्तन पैनल ने नीलिमा पवार के पैनल को हार का स्वाद चखाया। लगभग 32 वर्ष के बाद संस्था में सत्ता बदली। संस्था में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने का आश्वासन परिवर्तन पैनल के सदस्यों ने चुनाव के समय मतदाताओं को दिया था।  मविप्र संस्था आर्थिक समस्या में होने की बात महासचिव ठाकरे ने बताई। संस्था का कामकाज अच्छा होने के बाद भी पिछले 5 साल में पूर्व संचालक मंडल द्वारा लिए गए गलत निर्णय से यह स्थिति निर्माण हुई है। जरूरत न होने के बाद भी 100 जगह पर निर्माण कार्य शुरू किए। वारायझन अकादमी में विद्यार्थियों की संख्या कम होने के बाद भी इमारत का निर्माण किया गया। ऐसी अनियमितता कई कार्य में होने से भ्रष्टाचार होने की बात स्पष्ट हो गई है। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए आश्वासन का पूरा करने के लिए नए संचालक मंडल ने पिछले 5 साल में किए गए गैर कामकाज की जांच करने का निर्णय लिया। इसके तहत प्रथम निर्माण कार्य की जांच करने के लिए समिति का चयन किया है। शिक्षाणाधिकारी नानासाहेब पाटिल ने अपने पद का इस्तीफा दिया है, लेकिन संचालक मंडल ने उसे स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने विद्यमान संचालक मंडल को सहयोग करने पर उन्हें भी मदद की जाएगी। 

    हटाएं जाएंगे 350 कर्मचारी

    मविप्र चुनाव से दो महीने पहले संस्था में एकाएक 350 व्यक्तियों की नोकरभरती की गई, जो केवल चुनाव के उद्देश्य से थी। अपने समर्थकों के व्यक्तियों को सेवा में शामिल किया गया। नोकर भरती के लिए सरकार की अनुमति न होने के बाद भी किसी को फिक्स पे तो किसी को मानधन पर सिपाई, क्लार्क ऐसे पद दिए गए। यह भरती नियमबाह्य है। इसलिए संबंधित 350 कर्मचारियों को जल्द ही हटाया जाएगा। 

    इस जांच के माध्यम से किसी को भी परेशान करने का उद्देश नहीं है। केवल गलत कार्य करने वालों को जवाब पूछना है। जांच के दौरान अनियमितता सामने आने पर जिम्मेदार होने वालों को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया जाएगा।

    - नितीन ठाकरे, महासचिव, मविप्र